श्रीराम जाणी (बिश्नोई)
श्री श्रीराम जाणी का जन्म जिला हिसार के आदमपुर ग्राम में संवत 1937 में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री कान्हाराम था जो एक किसान थे। श्रीराम जाणी ने भी कृषि कार्य को अपनाया। बाद में श्रीराम ने मंडी आदमपुर में दुकानदारी करने लगे। इस मंडी को इनके पिताजी ने आबाद किया था।
स्वतंत्रता आन्दोलन के फलस्वरुप बिश्नोई समाज में भी जाग्रुति आई। बिश्नोई बन्धु हिसार में एक बिश्नोई मंदिर बनाने के इच्छुक थे। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा का सातवा अधिवेशन महासभा के प्रधान श्री हरिराम की अध्यक्षता में हिसार में 19 मार्च 1945 को हुआ ।
उस समय स्वागत समिति के श्रीराम जाणी अध्यक्ष थे। उस अवसर पर जिला हिसार के बिश्नोईयों की एक बैठक हुई। जिला सभा गठित हुई जिसके प्रधान श्री श्रीराम चयनित हुए। बिश्नोई मंदिर हिसार के निर्माण की योजना बनी और चन्दा एकत्र किया जाने लगा। मंदिर के लिए भूमि मुन्शी रामरिख जी जाणी (मन्त्री) ने दी। इन कार्यों में श्रीराम जाणी की प्रमुख भूमिका थी। बिश्नोई धर्म के विश्वपटल पर बिश्नोई समाज से अवगत कराने के लिए बिश्नोई सभा हिसार की ओर से सन 1950 में अमर ज्योति पत्रिका का प्रकाशन भी शुरु किया गया। सभा के कार्यों में व्यस्तता के कारण श्रीराम जाणी मंदिर में ही रहने लगे। उस समय श्रीराम जाणी जिला बोर्ड तथा मार्केट कमेटी के सदस्य मनोनीत हुए। जब अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा को मुक्तिधाम मुकाम का कार्य सौंपा गया तब श्रीराम जाणी महासभा की ओर से कोषाध्यक्ष बनाया गया। श्रीराम जाणी ने निज मंदिर मुकाम की मरम्मत कराई तथा पश्चिम की तरफ के मकान भी वहां रहकर बनवाये। श्रीराम जाणी ही के कार्यकाल में बिश्नोई मन्दिर ऋषिकेश भी महासभा के चार्ज में आया।