9 फरवरी 2025 को प्रकृति बचाओ आन्दोलन में श्रीगंगानगर होगा बंद
पर्यावरण संघर्ष समिति ,समस्त बिश्नोई समाज और अन्य सर्व समाजों के प्रकृति प्रेमी लोग श्रीगंगानगर मुख्यालय में प्रकृति बचाओ आन्दोलन के तहत शहर बन्द करेंगे । रैली निकालेंगे। मुख्यमंत्री के नाम, "ट्री प्रोटेक्शन एक्ट राजस्थान " नाम से कठोर कानून बनाकर राज्य वृक्ष खेजड़ी की कटाई पर पूर्णतया प्रतिबंध लगने की मांग करेंगे । जन जन को प्रकृति बचाने की प्रेरणा देंगे।
उल्लेखनीय है कि बिश्नोई समाज का गौरवमयी इतिहास गवाह है कि इस समाज, का बच्चा-बच्चा पेड़ बचाने, वन्यजीव बचाने मूक प्राणी सेवा करने के लिए प्राण न्यौछावर करने को सदैव तत्पर रहता है। यह समाज सैकड़ों वर्षों से इन कार्यों को गुरु जांभोजी की आज्ञा मानकर करता आया हैं। समय समय पर बलिदान देकर प्रकृति और संस्कृति को बचाया है।
ज्ञातव्य है कि गत लम्बे समय से राजस्थान राज्यवृक्ष खेजड़ी सहित लाखों पेड़ काट दिये गये है। सोलर प्लांट के नाम पर विकास और प्रगति के नाम पर प्रकृति को समूल नष्ट किया जा रहा है। जहां सोलर कम्पनी अपनी सौर ऊर्जा प्लेटें लगाती है वहां की भूमि को एकदम रेगिस्तान बना रहे हैं। समस्त वनस्पति को विनष्ट करके हजारों बीघा भूमि को वनस्पति विहीन बंजर बनाते हैं। धरती को नंगा करते हैं। उस क्षेत्र के समस्त वन्यजीव, पशु पक्षी, रेंगने वाले असंख्य जीव कीड़ी-मकोड़ी , चीड़ी चमेड़ी सब के आशियाने नष्ट कर रहे हैं। जिसके कारण वहां का जीवन शून्य हो रहा है। रेतीला क्षेत्र बनाकर उस पर आग की भट्टी की तरह तपने वाली सोलर प्लेंटे लगाई जा रही है। इन प्रोजेक्टस की चपेट में पूरा राजस्थान गरमाने लगा है। वृक्षविहीन धरती पर मानव जीवन भी खतरे में आ गया है। समझदार लोगों को आभास होने लगा है कि शीघ्र ही प्राकृतिक प्रकोप इस धरती को जीवन शून्य कर देगा।
बिश्नोई समाज अपने प्राण न्यौछावर करके भी प्रकृति को बचाता आया है इसी भावना के चलते गत 18 जुलाई 2024 को बीकानेर जिले की कोलायत तहसील के नोखादैया, जयमलसर के पास खेजड़ला की रोही में एक अनिश्चित कालीन धरना शुरु किया गया था जो आज तक निरन्तर चल रहा है। प्रकृति बचाओ संघर्ष समिति के बेनर तले चल रहे उक्त धरने के समर्थन में छतरगढ़ में और बीकानेर जिला मुख्यालय पर भी लम्बे समय तक धरने लगाये गये थे। समाज का एक प्रतिनिधि मंडल सन्तों के नेतृत्व में जयपुर जाकर सीएम हाऊस में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मिला था । उसके बाद उपचुनाव की एक सभा के दौरान नागौर जिले के कुचेरा में फिर एक प्रतिनिधि मण्डल सन्तों और महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेन्द्र बुड़िया के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मिला था तो उन्होंने 15 दिनो में ही समाज की मांग का निस्तारण करने का आश्वासन दिया था। मगर आज तक पेड़ कटाई पर किसी प्रकार का अंकुश नहीं लगा है। नोखा दैया में चल रहे धरने को आज 204 दिन हो गये है।
गत 26 दिसंबर 2024 को बीकानेर संभाग मुख्यालय बंद रखा गया था। 19 जनवरी 2025 को जोधपुर संभाग मुख्यालय तथा 29 जनवरी को सांचोर शहर बंद रखा गया था। जो राज्य सरकार को चेतावनी है कि पेड़ कटाई नहीं रुकी तो यह आंदोलन जन जन का आंदोलन बनेगा।
राजस्थान के जोधपुर, फलोदी जालोर, बाड़मेर जैसलमेर बीकानेर, हनुमानगढ़ जयपुर और चुरू जिलों में खेजड़ी वृक्षों की बड़ी मात्रा में पेड़ काटने की अलग अलग अनेक घटनाएं हुई है जिनमें लाखों पेड़ कट हो चुके है। उक्त सभी जिलों में अनेक सोलर प्लांट लग रहे है। देश विदेशों की अनेक कम्पनियों आ रही है। सरकार कम्पनियों का सहयोग कर रही है।
अनिश्चित कालीन धरने पर आज तक किसी भी सरकार के प्रतिनिधि या अधिकारी ने आकर वार्ता नहीं की है। राजस्थान के समस्त प्रकृति प्रेमी लोगों में आक्रोश है। प्रकृति नष्ट हो गई तो मानव जीवन भी नष्ट हो जाएगा। प्रकृति को नष्ट करके विकास करना गलत है ।
जबतक पेड़ सुरक्षा और वन्यजीव सुरक्षा का कठोर कानून नहीं बनेगा तब तक यह आन्दोलन जारी रहेगा।
विशेष बात यह है कि राजस्थान में काश्तकारी अधिनियम ,राजस्व अधिनियम, सिलिंग एक्ट, वन अधिनियम तथा भारतीय संविधान में प्रकृति संरक्षण के अलग-अलग कानूनों में पेड़ सुरक्षा की चर्चा है मगर पेड़ अधिनियम बना हुआ ही नहीं है। उक्त सभी कानून अलग किस्म की भूमि पर लागू होते हैं। कटाणी रास्ता, हाईवे ,नेशनल हाईवे, रेल मार्ग आदि कानूनों में भी पेड़ों सम्बन्धी फुटकर कानून है। आन्दोलन की मुख्य मांग है कि भारत के अन्य दस राज्यों की तरह राजस्थान में भी ट्री प्रोटेक्शन एक्ट राजस्थान बनाकर पेड़ बचाए जावे। यह कानून बनाने की शक्ति राज्य सरकार के पास है। मुख्यमंत्री अन्य राज्यों के ट्री एक्टस की समीक्षा करवा कर आगामी विधानसभा सत्र में राजस्थान ट्री प्रोटेक्शन एक्ट बनाए इसी मांग को लेकर श्रीगंगानगर शहर बंद की घोषणा की गयी है और आगे भी यह आंदोलन जारी रहेगा । अन्य जिलों को भी बंद करवाया जाएगा।