मुकाम धाम में 27 फरवरी को फाल्गुन मास की अमावस्या पर विशाल मेला भरेगा

 मुकाम धाम में 27 फरवरी को फाल्गुन मास की अमावस्या पर विशाल मेला भरेगा

मुकाम धाम में 27 फरवरी को फाल्गुन मास की अमावस्या पर विशाल मेला भरेगा


बीकानेर, 23 फरवरी: श्री गुरु जंभेश्वर भगवान की समाधि स्थल मुकाम में आगामी फाल्गुन मास की अमावस्या 27 को विशाल मेला भरेगा। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के आमंत्रित सदस्य इंद्रजीत बिश्नोई ने बताया कि 27 फरवरी, गुरुवार को को प्रातः 8:54 बजे अमावस्या लगेगी व 28 फरवरी शुक्रवार को प्रातः 6.14 बजे उत्तरेगी।

अमावस्या के दिन 27 फरवरी को पर्यावरण शुद्धि के लिए गाय के घी से विशाल हवन यज्ञ होगा। इससे पहले 26 फरवरी को रात्रि में जागरण होगा। उन्होंने बताया कि पूरे मेले की व्यवस्था पुलिस प्रशासन के साथ अखिल भारतीय गुरु जम्भेश्वर सेवक दल के सदस्य संभालेंगे। ये सदस्य अलग-अलग प्रदेशों से मेले से पूर्व ही पहुंचकर अलग-अलग विभागों जैसे लंगर, जल विभाग, विद्युत विभाग, यातायात व्यवस्था, मेला व्यवस्था, मुख्य पंडाल, मंच व्यवस्था, हवन यज्ञ एवं मुख्य मंदिर आदि में अपना एरिया संभाल लेंगे।




मुकाम धाम में करीब 500 वर्षों से भरा जा रहा है मेलाः


इंद्रजीत बिश्नोई ने बताया कि मुकाम धाम में 500 वर्षों से भी ज्यादा समय से मेला भरा जा रहा है। पूरे भारत वर्ष से बिश्नोई समाज के लोग मेले में पहुंच कर गुरु जम्भेश्वर भगवान की समाधि पर धोक लगाकर नतमस्तक होते हैं और भगवान से घर परिवार, गवाडी बाड़ी व देश में खुशहाली की मत्तत मांगते हैं। इस मेले में अमावस्या से 7 दिन पहले ही श्रद्धालुओं की चहल-पहल शुरू हो जाती है और अमावस्या के 7 दिन बाद तक लोग मेले में घरेलू उपयोग की चीजों की खरीददारी करते हैं। श्रद्धालु गण अपने मित्रों, रिश्तेदारों व अन्य जानकार लोगों से मिलकर मेले का आनंद लेते हैं।


साधु संत भजन कीर्तन करते हैं, साखी गाते हैं। कुल 15 दिनों तक मेला चलता है। मेले के दौरान समाज का खुला अधिवेशन भी होता है, जिसमें समाज के गणमान्य व्यक्ति पहुंच कर समाज उत्थान के बारे में चर्चा करते हैं। अमावस्या से पहले संत महात्माओं द्वारा जांभाणी हरिकथा सुनाई जाती है। गुरु जम्भेश्वर के मन्दिर पर जब परेवा (पक्षी) हॉर गुण गाते हैं तो ऐसा आभास होता है जैसे प्रकृति भी विशाल मेले का आनंद ले रही है।



बिश्नोई रत्न चौ भजनलाल के नेतृत्व में हुआ मंदिर का जीर्णोद्धार


अखिल भारतीय विश्नोई महासभा के आमंत्रित सदस्य इंद्रजीत बिश्नोई ने बताया कि प्राचीन मन्दिर बहुत छोटा होता था। जब आबादी बढ़ने लगी तब मंदिर छोटा पड़ने लगा, यहां भीड़ ज्यादा होने से धोक लगाने में लंबी लाइन लगने लगी। तब पंचशती समारोह की आम सभा में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिश्नोई रत्न चौ भजनलाल जी के नेतृत्व में मंदिर के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव पारित किया गया।


चौ. भजनलाल ने समाज के सहयोग से समाधि स्थल पर प्राचीन मंदिर को ज्यों का त्यों रखकर बिश्नोई धर्म के 29 नियमों को मुख रखते हुए 29 पिलरों पर 29 गेट खिड़कियां, 29 किलो सोने का कलश रखकर लगभग 12 करोड़ रुपए की लागत से फाल्गुन मास की अमावस्या को फाल्गुन मेले पर फरवरी 1996 को भव्य मन्दिर बनवा कर समाज को समर्पित किया। प्राचीन मन्दिर के गुंबद को ज्यों का त्यों रखा गया है जो अब नवनिर्मित विशाल के मंदिर अन्दर स्थापित है। मंदिर परिसर को भव्यता के साथ सफेद संगमरमर के पत्थर से बनवाया गया है। मुकाम धाम का मन्दिर भारत के बड़े मंदिरों में से है जिसको देखने व थोक लगाने अन्य समाज के लोग भी भारी संख्या में जाते हैं।

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