मुकाम मेला: जाम्भोजी के समाधि स्थल पर 5 दिवसीय फाल्गुन मेला 25 फरवरी से , 27 को अमावस्या

 

मुकाम मेला: जाम्भोजी के समाधि स्थल पर 5 दिवसीय फाल्गुन मेला 25 फरवरी से , 27 को अमावस्या

मुकाम मेला: जाम्भोजी के समाधि स्थल पर 5 दिवसीय फाल्गुन मेला 25 फरवरी से , 27 को अमावस्या
मुकाम मेला: जाम्भोजी के समाधि स्थल पर 5 दिवसीय फाल्गुन मेला 25 फरवरी से , 27 को अमावस्या


मुकाम (बीकानेर), 23 फ़रवरी। बिश्नोई समाज के गुरु जांभोजी महाराज के समाधि स्थल मुकाम में पांच दिवसीय फाल्गुनी मेला 25 फरवरी से शुरू होगा। यह मेला 1 मार्च तक चलेगा। मेले में देश और विदेशों में रहने वाले विश्नोई समाज के लाखों लोग शामिल होंगे। फाल्गुनी अमावस्या को मुख्य मेला भरेगा। 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 57 मिनट से अमावस्या शुरू होगी, जो पूरे दिन चलेगी। इसके बाद ही मुकाम मंदिर में हवन कुंड में आहुतियां देने का क्रम शुरू होगा। पर्यावरण शुद्धि के लिए हवन कुंड में देशी घी और खोपरों की आहुतियां दी जाएगी। 25 से शुरू होने वाले मेले में दूसरे प्रांतों और विदेश से समाज के लोग 26 तक मुकाम पहुंचने शुरू हो जाएंगे। लोग मुकाम में दर्शन करने के बाद समराथल धोरे पर भी जाएंगे। वहीं अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की ओर से मेले स्थल पर विशेष व्यवस्था की जाएगी। इस मेले की विशेषता यह होगी कि मेले के दौरान मुकाम पहुंचने वाला कोई भी मेलाथी नशा और प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करेगा। मेले के दौरान नशे और प्लास्टिक के इस्तेमाल के साथ-साथ नकली घी बेचने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए उपखंड अधिकारी ने एक दल भी गठित की है। यह दल पांच दिनों तक मुकाम में ही रहेगी।


हवन कुंड में शाम के बाद आहुतियां देने का क्रम बंद

मुकाम में जांभोजी महाराज की समाधि स्थल पर दो हवन कुंड बने हुए हैं। 8 गुना 8 साइज के इन दोनों हवन कुंडों में फाल्गुनी अमावस्या को पूरे दिन देशी घी और खोपरों की आहुतियां दी जाएंगी। आहुतियों में बिनोले का घी काम में लिया जाता है। जानकार बताते हैं कि प्रसव के एक महीने बाद गाय के दूध से बनने वाले घी का इस्तेमाल हवन में आहुति के लिए काम में लिया जाता है। बताया जाता है कि आठ गुना आठ साइज का हवन कुंड यहीं पर है। इतने बड़े हवन कुंड और कहीं नहीं है। हवन कुंडों में घी और खोपरे की आहुतियां देने का क्रम शाम को बंद कर दिया जाता है। यानी रात के समय हवन कुंड में आहुतियां नहीं दी जाती हैं।


26 और 27 को मुकाम में होगा जागरण

25 फरवरी से शुरू होने वाले मेले के दौरान 26 और 27 फरवरी को जागरण होंगे। 26 को महाशिवरात्रि के मौके पर मुकाम मंदिर में जागरण होगा। वहीं 27 की रात को अमावस्या होने के कारण जागरण होगा। इस जागरण में मुकाम पहुंचने वाले श्रद्धालु शामिल होते हैं। मुकाम में फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया सहित विदेश में रहने वाले लोग भी जागरण में शामिल होंगे। मेले में भारत के हर प्रांत के लोग पहुंचते हैं। विदित रहे कि मुकाम मंदिर के मुख्य गेट के आगे बनाए गए कृत्रिम झरने में होकर दर्शनार्थियों को जांभोजी के समाधि स्थल पर पहुंचना पड़ता है। इस झरने से आने वाले पानी में दर्शनार्थी के पैर अपने आप धुल जाते हैं।


बिश्नोई समाज के आद्य स्थल पर भी जाएंगे मेलार्थी

मेले में पहुंचने वाले बिश्नोई समाज के लोग मुक्ति धाम मुकाम के साथ-साथ बिश्नोई समाज के उद्गम स्थल समराथल धोरे पर भी धोक लगाने के लिए पहुंचेंगे। मुकाम से समराथल धोरा तीन किलोमीटर दूर है। मेले के दौरान यहां पहुंचने वाले लोग समराथल में भी धोक लगाएंगे। मेले के दौरान आने वाले मेलार्थियों की भीड़ तीन किलोमीटर पर लगातार चलेगी। ऐसे में यह भीड़ एक चेन में रूप में नजर आएगी।

मुख्य बातें

  • पांच दिवसीय मेला 25 फरवरी से 1 मार्च तक चलेगा।
  • 27 फरवरी को फाल्गुनी अमावस्या है।
  • मेले में नशा और प्लास्टिक का उपयोग प्रतिबंधित है।
  • नकली घी बेचने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
  • हवन कुंड में देशी घी और खोपरों की आहुतियां दी जाएंगी।
  • शाम के बाद हवन कुंड में आहुतियां नहीं दी जाती हैं।
  • 26 और 27 फरवरी को जागरण होगा।
  • मेलार्थी मुकाम के साथ-साथ समराथल धोरे, गुरु जांभोजी के जन्म स्थल पीपासर, निर्माण‌ स्थल लालासर साथरी पर भी धोक लगाएंगे।

यह मेला बिश्नोई समाज के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। यह गुरु जाम्भोजी महाराज के विचारों और शिक्षाओं को स्मरण करने और उनका पालन करने का एक अवसर है।

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