श्री गंगानगर: खुद के वेतन के पैसों से गरीब बच्चों के सपनों को पंख को पंख लगाने वाले गुरू हैं राजाराम बिश्नोई

 श्री गंगानगर: खुद के वेतन के पैसों से गरीब बच्चों के सपनों को पंख को पंख लगाने वाले गुरू हैं राजाराम बिश्नोई


श्री गंगानगर: खुद के वेतन के पैसों से गरीब बच्चों के सपनों को पंख को पंख लगाने वाले गुरू हैं राजाराम बिश्नोई



श्रीगंगानगर, 31 अगस्त।

 जननी जणे तो ऐसा जणे के दाता के सूर, नी तो रिजे बांझडी, मत ना गवा जे नूर। महाकवि तुलसीदास की इन पंक्तियों को इलाके के प्रसिद्ध शिक्षाविद् व डीएवी स्कूल के पूर्व प्राचार्य राजाराम बिश्नोई ने चरितार्थ किया है। क्योंकि श्री बिश्रोई इलाके में शिक्षा संत के रूप में विख्यात है। इन्होंने मजदूरी करने वाले अनगिनत अभिभावकों के बच्चों को शिक्षा रूपी ज्ञान देकर मजदूर बनने से ही नहीं रोका बल्कि उन्हें सरकारी अधिकारी बनाकर उनकी अगली पीढियों की राह की आसान कर दिया। इनके पास जो भी बच्चा आया और उसने कहा कि वह पढ़ना चाहता है परन्तु उसके पास रूपये नहीं है तो राजाराम बिश्रोई ने उस बच्चे का दाखिला स्कूल में अपने रूपयों से करवाया और उच्च शिक्षा तक का खर्चा वहन किया। कई लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होगी कि बिश्रोई ने अपने वेतन से गरीब बच्चों की फीस भरी। यानि प्रतिभा को पैसों के अभाव में रूकने नहीं दिया। राजाराम बिश्रोई ने ऐसे जमाने में लोगों में शिक्षा की अलख जगाई, जब लोगों के पास पढ़ने के संसाधन नाम मात्र के थे। अग्रेजी तो दूर गांवों में हिन्दी माध्यम स्कूलों की चार दीवारी या दो ही कमरे थे। उस समय गांवों में बच्चे घर से टाट प‌ट्टी लेकर आते थे, तख्ती पर लिखते थे। बिजली के पंखों की बजाए पेडों के नीचे बैठ कर पढ़ते थे। स्कूल भी 10 गांवों-कस्बों का एक ही हुआ करता था। ऐसी विषम परिस्थितियों में अभावों में पल रहे हजारों बच्चों को डीएवी स्कूल में पढ़ाया और बाद में उच्च शिक्षा के लिये बाहर भी भेजा। उनके हॉस्टल, फीस आदि का खर्चा वहन किया। निशानेबाजी में माहिर राजाराम बिश्रोई को बेस्ट शूटर अवार्ड भी मिला, लेकिन इन्हें तो अर्जुन की तरह मछली की आंख दिखाई दे रही थी। गरीब बच्चों को शिक्षा दिलाने का लक्ष्य और उनकी प्रगति कैसे हो, वे आगे कैसे बढ़े; हमेशा उसी पर निशाना लगाते रहे।


रावतसर के गांव मोधुनगर मजदूर परिवार की बदली, एक बच्चे को डॉक्टर, दूसरे को इंजीनियर बनाया


इंजीनियर कुलदीप कलवा ने बताया कि वह हनुमानगढ़ जिले के रावतसर तहसील के गांव मोधुनगर का रहने वाला है। उसने बताया कि आज मैं जिस मुकाम पर हूं, सब राजाराम बिश्रोई गुरूजी की देन है। मेरे पिताजी की उस वक्त आर्थिक स्थिति ऐसी थी की पढ़ाई के लिए किताब और ड्रेस खरीदना काफी मुश्किल था। घर की स्थिति से अंदाजा लगाया जाए तो इस परिवार से एक डॉक्टर और एक इंजीनियर बनना मेरे हिसाब से शायद ही संभव होता, लेकिन आज यह संभव हुआ एक भगवान स्वरूप इंसान राजाराम बिश्नोई की वजह से जिन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस सपने को पूरा करने में मेरे बड़े भाई एमबीबीएस डॉक्टर जोतराम दसवीं कक्षा में छात्रवृत्ति के लिए तैयारी के लिए डीएवी. स्कूल गंगानगर में उनका चयन हुआ, उसी वक्त राजाराम सर की हॉस्टल राउंड के दौरान भाई से मुलाकात हुई। उन्होंने उन्हें बधाई दी और उनके बारे में पूछा, पारिवारिक स्थिति का पता चलने के बाद उन्होंने भाई को दसवीं कक्षा में अच्छा स्कोर करने के लिए बोला। दसवीं कक्षा का रिजल्ट आया भाई 80% के साथ पास हुआ। तब गुरूजी ने उनको कॉल किया और उन्हें अपने पास डीएवी स्कूल आने के लिए बोला। गुरूजी ने उन्हें डॉक्टर बनने के लिए बायोलॉजी सब्जेक्ट दिलवाया। माध्यमिक शिक्षा के 2 वर्ष उन्हें बिल्कुल फ्री पढ़ाया। उसके बाद उन्होंने उन्हें नीट एग्जाम की तैयारी के लिए गुरु कृपा शिक्षण संस्थान सीकर में एडमिशन करवाया। नीट क्लियर करने के बाद भाई को एमबीबीएस के लिए गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज सूरत मिला। इसी दौरान मैंने नॉन मेडिकल सब्जेक्ट से 89.7% के साथ 12वीं कक्षा पास की। भाई जोतराम ने मेरे रिजल्ट के बारे में राजाराम गुरूजी से के जिक्र किया और आगे की पढ़ाई बारे में पूछा। उन्होंने मेरे पापा के नंबर कॉल किया और मुझे बधाई दी। उन्होंने मुझे इंजीनियर बनने के लिए से पूछा जो कि मेरा भी एक सपना था। जिसे जुलाई 2018 में गुरूजी ने पूरा किया और मुझे जीआरजीए कैंचियां श्रीगंगानगर आने के लिए बोला। यहां भी खुद मुझे एडमिशन करवाने और छोड़ने के लिए जयपुर आए। उन्होंने मुझे श्री बालाजी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टैक्नोलॉजी जयपुर के एमडी जगदीश पूनिया से मिलवाया और मेरी जिम्मेदारी उन्हें को सौंपी। मैं यहां इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ब्रांच से एडमिशन लिया जो की पूर्णता निःशुल्क था। मुझे यहां पर एमडी सर ने बेटे की तरह रखा और कोई किसी प्रकार की समस्या महसूस नहीं होने दी। कुलदीप ने बताया कि उसने 85% के साथ इंजीनियरिंग कंप्लीट की और अंतिम वर्ष दो कंपनियों में मेरा प्लेसमेंट हुआ। बेहतर अवसर की तलाश में मैने एमटेक करने का सोचा था और एमडी सर के संदर्भ में एडमिशन लिया। कुलदीप ने बताया कि इस पूरी यात्रा के दौरान पारिवारिक स्थिति की तस्वीर बदलने में राजाराम गुरूजी की बहुत बड़ी भूमिका रही। राजाराम बिश्रोई मेरे लिये भगवान है।




लेखक: रामकिशन शर्मा

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