डॉ मिलन बिश्नोई ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय तमिलनाडु से हिंदी विषय से की पीएचडी

 बेटी ने बढाया मान : तमिलनाडु केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में  डॉ मिलन बिश्नोई को हिंदी विषय से पीएचडी डिग्री प्रदान कर किया सम्मानित

डॉ. मिलन बिश्नोई: एक प्रेरक जीवन


डॉ. मिलन बिश्नोई: एक प्रेरक जीवन

विवरणजानकारी
नामडॉ. मिलन बिश्नोई
पिताजगराम बिश्नोई (अध्यापक)
गाँवदामाणियों की ढाणी नया वाड़ा, भीनमाल (जालोर), राजस्थान
प्रारम्भिक शिक्षादामाणियों की ढाणी नया वाड़ा, भीनमाल (जालोर)
माध्यमिक शिक्षाराजकीय उच्च माध्यमिक शिक्षा वाड़ा-भाड़वी भीनमाल (जालोर, राजस्थान)
स्नातक शिक्षाजी.के गोवाणी महाविद्यालय, भीनमाल से दूरस्थ शिक्षा
बीएडलॉर्ड शिवा गर्ल्स कॉलेज, भीनमाल राजस्थान
स्नात्तकोत्तरउस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद - उत्कृष्ट विद्यार्थी सम्मान
पीजी डिप्लोमा इन अनुवादउस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद - प्रथम श्रेणी
एमफिलउच्च शिक्षण शोध संस्थान दक्षिण भारत हिंदी प्रचार - स्वर्ण पदक
यूजीसी नेटउत्तीर्ण (2017)
वर्तमान पदअसिस्टेंट प्रोफेसर
अन्य जानकारीस्वतंत्र साहित्यकार व किन्नर विमर्शकार




 

डॉ मिलन बिश्नोई का जन्म राजस्थन के जालौर जिले के अंतर्गत गांव वाड़ा-भाड़वी के एक बिश्नोई परिवार में हुआ। पिता जगराम बिश्नोई पेशे से अध्यापक है। 

ग्रामीण बेटी डॉ मिलन बिश्नोई ने प्रारम्भिक शिक्षा सरकारी स्कूल से प्राप्त कर आज देश के शीर्षस्थ केन्द्रीय विश्वविद्यालय से हिंदी में डॉक्टर ऑफ फिलोशॉपी की उपाधि प्राप्त की। 

तमिलनाडु केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में हिंदी विषय में अंतरराष्ट्रीय जेनेटिक इंजीनियरिंग और जैव प्रौद्योगिकी केंद्र नई दिल्ली के प्रो. रमेश वी. सोंटी व विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. जी. पदमनाबन ने जालोर की बिश्नोई डॉ मिलन बिश्नोई डॉक्टर ऑफ फिलोशॉपी (विद्या वाचस्पति) यानि उपाधि प्रदान करते हुए सम्मानित किया गया । इस कार्यक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एम. कृष्णन सहित अनेक लोग मौजूद थे।

डॉ बिश्नोई ने तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की प्रथम महिला शोधार्थी के रूप उपाधि प्राप्त करके समाज का नाम रोशन किया है । इनका शोध विषय ‘21 वीं सदी के हिंदी कथा साहित्य में किन्नर विमर्श’ है । शोध निर्देशक प्रोफेसर एस वी एस एस नारायण राजू है। वे यूरोप में बुल्गारिया विश्वविद्यालय से अध्यापन काल सम्पन्न करके भारत में तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय में बतौर विभागाध्यक्ष के रूप स्थान ग्रहण किया । डॉ मिलन बिश्नोई तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय में पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने वाली उनकी प्रथम शोधार्थी है किंतु प्रोफेसर राजू जी ने डॉ मिलन सहित 81 लोगों को एमफिल व पीएचडी करवाया है।

डॉ बिश्नोई ने अपने पीएचडी कार्यकाल में तीन देशों में अपना शोध पेपर प्रस्तुत किया है । 2018 में विदेश मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में शोध पत्र प्रस्तुत किया । हाल ही में दुबई में अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण शिखर सम्मेलन में भी शोध पत्र जमा करने के साथ मंच संचालन का कार्यभार निभाया । हाल ही में विदेश मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित 12 वें विश्व हिंदी सम्मेलन,फिजी में बिश्नोई समाज की प्रथम महिला प्रतिनिधि के रूप में ‘भारतीय ज्ञान परम्परा : गुरु जांभोजी की सबदवाणी पर्यावरण-चिंतन’ विषय पर शोध-पत्र प्रस्तुत किया ।

डॉ. बिश्नोई वर्तमान में कर्नाटक में खाजा बंदानवाज विश्वविद्याय के हिंदी विभाग में असिस्टेंट पद पर कार्यरत है । पारिवारिक पृष्ठ भूमि में देखा जाए डॉ मिलन बिश्नोई के पिता जगराम बिश्नोई अध्यापक है । जीवन साथी अरविंद कुमार बिश्नोई एचडीएफसी बैंक में मैनेजमेंट का कार्यभार संभालते है ।


मैं तो केवल पथिक व साधक हूँ निरन्तर लग्न के साथ चलती रही हूँ । किंतु मेरे सपने को साकार होते देखने की ख्वाहिशें,त्याग व समर्पण मेरे शोधनिर्देशक, माता-पिता, भाई-बहनों व जीवन साथी और सास-ससुर तथा बिश्नोई समाज का था तो संपूर्ण श्रेय उन सभी को जाता है । मैं उन बहनों और भाईयों को संदेश देना चाहुँगी दृढ़ इच्छा शक्ति बनाएं रखिए और जहाँ अवसर मिले वहाँ तन-मन से जुट जाएं और अपना खूब नाम रोशन कीजिए । जरूरी नहीं है कि हम सभी आईएएस, डॉक्टर, इंजिनियर ही बनेगें तो सफल होंगे। मैं खासकर कलावर्ग के विद्याथियों को कहना चाहूँगी कि वे अपने विषय को कभी कम नहीं समझें । शिक्षा के क्षेत्र में प्रत्येक विषय की अपनी उपयोगिता होती है और अनेकानेक अवसर उपलब्ध है किंतु आवश्यकता इस बात की है कि उस विषय का अवसाद हमें करना आना चाहिए । आज हिंदी भाषा की शोधार्थी होने पर गर्व करती हूँ कि इस भाषा के होने के कारण मुझे अपनी एक पहचान स्थापित करने का मौका मिला ।

डॉ मिलन बिश्नोई
असिस्टेंट प्रोफेसर 

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