RPS Omprakash Bishnoi : किसान के बेटे ने RAS में 146 वीं रैंक प्राप्त कर कांस्टेबल से RPS बनकर रचा इतिहास
RPS OMPRAKASH BISHNOI |
जीवन में कर्तव्यपरायणता और संघर्ष के झंझावातों के साथ तालमेल बिठाकर अपनी बौद्धिक क्षमताओं से जीवन में नए शिखर को छूने वाले एक ऐसे शख्स की कहानी संभावित रूप से सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
हम बात कर रहे हैं राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं में चयनित होने की परीक्षा RAS तथा वर्ष 2018 की इसी परीक्षा में 146वें रैंक पर चयनित होने वाले ओमप्रकाश बिश्नोई की। जिन्होंने 17 वर्ष तक राजस्थान पुलिस की नौकरी के साथ-साथ अपने हौसले को कायम रखा और अपने जज्बे के साथ RPS (राजस्थान पुलिस सर्विस) में बतौर Dy SP (डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) चुने गए। उनके संघर्ष की कहानी को आप सभी पाठकों तक चर्चा के रूप में पहुंचाने की कोशिश प्रश्नोत्तर के रूप में की जा रही है।
ओम प्रकाश जी आपके प्रारंभिक शैक्षणिक जीवन व पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताएं?
मेरा जन्म सन् 1983 में राजस्थान के नागौर जिले की मेड़ता सिटी तहसील के गांव जालोड़ा में हुआ। मेरे पिताजी श्री भेराराम जी एक सामान्य किसान है। मेरे तीन बड़े भाई व चार बहनें हैं। मेरे दो बड़े भाई शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। मेरे माता-पिता दोनों ही अशिक्षित हैं परन्तु उन्होंने हम सभी भाई बहनों को पढ़ने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया। मेरी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल जालोड़ा में ही हुई। 12वीं कक्षा मैंने साइंस विषय से गांव से ही की तत्पश्चात् आगे की शिक्षा मैंने नागौर के सरकारी महाविद्यालय में साइंस स्नातक (B.Sc.) के रूप में पूरी की। यहां तक आने के बाद एक सामान्य परिवार के सदस्य द्वारा अपने परिवार की आर्थिक जरूरत के लिए एक रोजगार होने की आवश्यकता को महसूस करना एक सामान्य बात है। सन् 2003 में मैंने स्नातक की शिक्षा पूरी कर ली थी।
आपका प्रारंभिक नौकरी के रूप में राजस्थान पुलिस में चयन हुआ तब आपने अपनी नौकरी के साथ-साथ शिक्षा के प्रति लगाव को किस प्रकार जारी रखा ?
स्नातक की पढ़ाई जैसे ही पूरी हुई मैंने वर्ष 2003 में राजस्थान पुलिस की कांस्टेबल की भर्ती के नोटिफिकेशन को देखा। तब जिले वाइज वैकेंसी का कोटा होता था और मैंने कोटा जिले में अधिक वैकेंसी को देखते हुए चयन की अधिक संभावनाओं के मद्देनजर वहां से फार्म भर दिया। लिखित परीक्षा पास कर शारीरिक परीक्षा में उत्तीर्ण होकर, अंततः मैंने RAC ज्वाइन कर ले ली। मेरे पास अब जीवन यापन के लिए एक सामान्य आय का साधन हो गया था जो कि मेरे अभी अंतिम चयन तक की सारी औपचारिकताओं को पूरा होने तक 2021 तक रहा। कोटा में रहते हुए मैंने अपने सपनों में नए आयामों को जोड़ने की कोशिश शुरू की। अपनी शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाली साइंस में, नियमित साइंस की पढ़ाई नहीं हो सकती थी, तब मैंने लोक प्रशासन विषय को अपना आधार बनाया और कोटा विश्वविद्यालय से वर्ष 2004-06 में प्राइवेट विद्यार्थी के रूप में मास्टर डिग्री हासिल की। की। इस विषय के साथ मैंने हमेशा आगे बढ़ने के सपने को जिंदा रखा।
इसी बीच पारिवारिक जिम्मेदारियों में शादी के रूप मैं भी इजाफा हुआ। इसके बाद मैंने 2007, 2010 में राज्य में उप निरीक्षक की परीक्षाएं भी दीं, परंतु सफलता हाथ नहीं लगी। मैंने अपने विषय लोक प्रशासन के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया और 2012 में यूजीसी नेट की परीक्षा को क्वालीफाई किया। मेरा विषय मजबूत हो गया और मैंने उसी वक्त RPSC (राजस्थान लोक सेवा आयोग) द्वारा आयोजित SET (स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट) को भी क्वालीफाई किया। इस प्रकार एक विषय पर पूरा-पूरा विश्वास बन गया।
आपने RAS परीक्षा के लिए कब अपने आपको तैयार किया और किन विषयों के साथ आप इसमें शामिल हुए, यह यात्रा कैसी रही?
मेरी RAS की परीक्षा का दौर वर्ष 2012 से शुरू हुआ जब मैंने एक विषय पर पकड़ बना ली। सामान्य अध्ययन की रेफरेंस बुक भी में ड्यूटी के दौरान साथ रखता था। जब कभी भी बीच में आराम के लिए समय मिलता मैं उन्हें पढ़ता रहता था। निरंतर पढ़ते रहना ही मेरी खूबी रही। वर्ष 2012 की आरएएस परीक्षा (RAS Exam Pattern) पुरानी पद्धति के अनुसार 2 विषयों के साथ हुई जिसमें मैंने लोक प्रशासन और जूलॉजी के साथ मुख्य परीक्षा दी। परंतु इसमें सफलता प्राप्त नहीं हुई, इसकी एक वजह दूसरा विषय इतना मजबूत नहीं होना भी हो सकता है। वर्ष 2013 में नई पद्धति से आर.ए.एस. की परीक्षा हुई जिसमें मैंने प्रारंभिक परीक्षा पास की और मुख्य परीक्षा में शामिल हुआ। परंतु मेरी मुख्य परीक्षा पास नहीं हो सकी। इस प्रकार 2016 में आरएएस में एक बार फिर प्रारंभिक परीक्षा को पास किया परंतु मुख्य परीक्षा में सफलता हाथ नहीं लगी। तीन बार मुख्य परीक्षा में शामिल होकर और आगे न बढ़ पाने के कारणों का अन्वेषण किया तो यह पाया कि जीवन में सबसे बड़ी जरूरत एक सही गाइडेंस के न होने के कारण परीक्षा रूपी नाव झंझावतों में फंसी रही। परंतु हिम्मते -मर्दा, मददे ख़ुदा को ध्यान में रखकर अपने आपको आत्मविश्वास का बोध करवाना जारी रखा और शिक्षा जारी रखी। इसी बीच 2017 में कॉलेज कैडर के असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा भी पास की, परंतु इंटरव्यू में सफलता हाथ नहीं लगी। संघर्ष जारी रहा और नौकरी भी जारी रही क्योंकि शादीशुदा व्यक्ति को सभी को साथ लेकर चलना होता है।
शैक्षणिक योग्यता
- 10वीं : राजकीय माध्यमिक विद्यालय,जारोड़ (मेड़ता) 61%
- 12वीं : राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, मेड़ता रोड़ 61%
- B.Sc. श्री बलदेव राम मिर्धा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नागौर 57%
- M.A. (लोक प्रशासन) कोटा यूनिवर्सिटी, कोटा 57%
- M.A. (राजनीति विज्ञान)- कोटा यूनिवर्सिटी, कोटा
- 65% • UGC NET लोक प्रशासन
RAS 2018 में सफल होने की यात्रा किस प्रकार रही?
तीन बार मुख्य परीक्षा में असफल होने के कारणों को ढूंढते हुए यह समझ में आया कि कहीं ना कहीं लिखने की विषय वस्तु में और शब्दों के चयन में या शैली में कुछ समस्याएं हैं। कोटा में कोई एक भी मैटर नहीं रहा जी इसका निवारण कर सके या हौसला अफजाई करे या समझा सकें। परंतु स्वयं से ही प्रशिक्षण लिया और इस प्रकार वर्ष 2018 की परीक्षा आ गई। अगस्त 2018 में प्रारंभिक परीक्षा हुई, मुख्य परीक्षा में शामिल होने का आत्मविश्वास था। मैंने मुख्य परीक्षा की तैयारी हेतु अधिक समय का प्रबंध किया। मुख्य परीक्षा जून 2019 में थी इसलिए मैंने कोटा और जयपुर के बीच में यात्रा की क्योंकि मुझे अपनी राइटिंग स्किल का प्रशिक्षण टेस्ट सीरीज के माध्यम से करना था। अत्यधिक कार्य करने के कारण स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ा। मैंने मेडिकल छुट्टियां ली और स्वास्थ्य लाभ के साथ आप पढ़ाई जारी रखी। बार-बार टेस्ट सीरिज लिखने के अभ्यास और अन्वेषण के कारण मेरी कुछ खामियां दूर हुई। मैंने मुख्य परीक्षा को सफलतापूर्वक पास किया। मुख्य परीक्षा के बाद करोना परिस्थितियों के कारण इंटरव्यू में देरी हुई और वह जून 2021 में संपन्न हुआ। इंटरव्यू की तैयारी के लिए मैंने कुछ दोस्तों के साथ मॉक इंटरव्यू किए। मेरे इंटरव्यू में मुख्यतः प्रश्न मेरे विषय और नौकरी के क्षेत्र के रहे। मैंने सफलतापूर्वक सभी प्रश्नों का उत्तर दिया और 100 अंकों में से 72 अंक अर्जित किए। अंततः जुलाई 21 में परिणाम घोषित हुआ और मेरी 146वीं रैंक आई। मुझे RPS मिला। लंबी जद्दोजहद भरी यात्रा आखिर अपने पड़ाव पर पहुंची। वर्तमान में राजस्थान पुलिस अकेडमी जयपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा हूं।
आप वर्तमान में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
इस विषय पर मुख्य कुछ बातें में रखना चाहूंगा आप (1) हमेशा अपना नजरिया सकारात्मक रखें। अपने ड्यूटी के प्रति सकारात्मक रहें। कोई भी कार्य को छोटा या बड़ा ने समझे यदि आपकी आर्थिक परिस्थितियां कठिन है तो छोटे लक्ष्य का सहारा लेकर बड़े लक्ष्यों को साधने की कोशिश करें। (2) सपनों को पूरा करने के लिए धैर्य रखें। मैंने राजस्थान पुलिस की प्रथम सीढ़ी कांस्टेबल के पद पर 20 वर्ष की आयु में शुरू किया था और 38 वर्ष की आयु में ऑफिसर बना। निरंतर मेहनत, प्रयास, धैर्य से आप लक्ष्यों को पा सकते हैं। स्वयं को प्रोत्साहित रखना जरूरी है। गाइडेंस न होना बहुत बड़ी कमी रही है। परंतु 'करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान' वाली कहावत सही चरितार्थ रही। अपने स्वयं के विवेक और अनुसंधान प्रक्रिया से सारी बाधाएं पार कर सकते हैं। अपने हौसले को बनाए रखें। (3) वर्तमान में इंटरनेट का प्रयोग सही दिशा में किया जा सकता है यदि आपको कोई विषय वस्तु की जांच करनी हो या खोज करनी हो तो।
सोशल मीडिया से समुचित दूरी बना कर समय का सदुपयोग करके, चयनित बंधुओं की सहायता से आप प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
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