बिश्नोई समाज ने वृक्ष रक्षार्थ शहीद 363 नर नारियों को दी श्रद्धांजलि
रामनिवास बेनीवाल, हिसार।
जिला सचिवालय में अखिल भारतीय बिश्नोई युवा संगठन के नेतृत्व में विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा जोधपुर के गांव खेजड़ली में वृक्ष रक्षा के लिए मारे गए 363 नर नारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर समाज के लोग और समाजिक संगठनों द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर जिला उपायुक्त उत्तम सिंह को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
दिए गए ज्ञापन में मांग की गई है कि खेजड़ली महाबलिदान की याद में भारतीय पर्यावरण दिवस घोषित किया जाए, सभी शिक्षा बोर्ड पाठ्यक्रम पुस्तकों में इस महा बलिदान की गाथा को पाठ के रूप में शामिल किया जाए, भारत के सभी राज्य सरकारों से अनुरोध करें कि पर्यावरण संरक्षण व वृक्ष रक्षण का कार्य करने वाले लोगों को हर वर्ष भारत सरकार की भांति दिये जाने वाले शहीद अमृता देवी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार अपने-अपने राज्यों में आरंभ करें। कार्यक्रम के दौरान संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय लाम्बा, प्रदेश महासचिव राजीव पुनिया,संगठन प्रवक्ता रामनिवास बेनीवाल,सुभाष थापन, एडवोकेट कुलदीप देहडू, सुरेश बॉक्सर, जयपाल देहडू, एडवोकेट चंद्र सहारन,रामेश्वर लाम्बा, विष्णु गोदारा, कुलबीर जग्गू, मनोज जांगड़ा, कृष्ण,जगदीश आर्य नगर,सुनील, जय भगवान, राकेश भादु के अलावा समाज के गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे ।
यह है खेजड़ली की कहानी
वर्ष 1730 में जोधपुर के तत्कालीन महाराजा अभय सिंह के शासनकाल में यहां के गांव खेजड़ली में महाराजा अभय सिंह के दीवान गिरधर दास भंडारी ने राजा के आदेश के अनुसार गांव में किले के निर्माण करवाने के लिए पेड़ों की कटाई का फरमान जारी किया था लेकिन अपने गांव में पर्यावरण की रक्षा हेतु अमृता देवी के नेतृत्व में 363 नर नारी पेड़ के चिपक गए थे और गुरु जंभेश्वर भगवान की वाणी जीव दया पालनी रुख नीलो नहीं घावै को चरितार्थ करते हुए अपने परिजनों की चिंता ना करते हुए 363 लोगों ने एक-एक करके कर अपना बलिदान दे दिया ।