आदर्श कौन? लॉरेंस बिश्नोई या आईएएस रवि सिहाग, फैसला आपको करना है
जब से पंजाबी गायक सिद्धु मुसेवाला को बदमाशों ने सरे राह शुट किया है। शोशल मीडिया पर क्रेडिट लेने की होड़ मची हुई है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया राई का पहाड़ बनाकर एक हिस्ट्रीशीटर के कारनामों को उपलब्धि के तौर पर परोसकर टीआरपी बनाने की होड में लगा हुआ है। लॉरेंस बिश्नोई की गैंग को मीडिया के बंधु गला फाड़ फाड़ कर बिश्नोई गैंग सिद्ध करने की कोशिश में लगे हुए हैं। जैसे बिश्नोई समुदाय नहीं एक गैंग है। एक और जहां गाड़ियों के आगे लगी नंबर प्लेट हटाने की आदेश में गुर्जर आदि नाम लिखने से अधिकारी के निलंबन तक का की बात पहुंच जाती है दूसरी ओर चौथे स्तंभ के रूप में परिभाषित पत्रकारिता को कुछ लोग टीआरपी के चक्कर में गिद्ध सिद्ध करने में लगे हुए हैं। मुसेवाला मर्डर केस में ऐसी नकारात्मकता परोसी जा रही है जिसके नीचे सकारात्मकता भरी खबरें कहीं दब सी गई है। लेकिन हमारे लिए आपको सकारात्मकता के उस पहलू को दिखाना आवश्यक है जो समाज की दिशा व दशा बदलने में सहायक सिद्ध होगी। देश की प्रतिष्ठित परीक्षाओं में शामिल सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम यूपीएससी द्वारा कल जारी किए गए इन परिणामों में राजस्थान के रहने वाले रवि सिहाग ने हिंदी मीडियम में टॉप करते हुए समग्रत ऑल इंडिया 18 वी रैंक प्राप्त की। अब रवि प्रशिक्षण प्राप्त करके 1 जिले के मुख्या (कलेक्टर) के रूप में सेवाएं देंगे जो समाज के लिए गौरव का विषय है। लेकिन रवि की इस उपलब्धि पर गर्व करने के बजाय युवावर्ग लॉरेंस कारनामों को सपोर्ट करते दिख रहे हैं। यह समाज को गर्त की ओर धकेलने का सामुहिक प्रयास है। रुतबा शोहरत और पैसे की चकाचौंध में भले ही आपको गैंगस्टरों की कहानी आकर्षित करें लेकिन इसका अतं बुरा है। जबकि शिक्षित होकर कामयाबी की दास्तान लिखने वाले रवि जैसे युवा जन-सेवा कर समाज का सर उपर उठाएंगे। अब फैसला आपकओ करना है लॉरेंस को आदर्श मानकर अपना जीवन बर्बाद करना है या रवि से प्रेरणा लेकर सफल होकर देश सेवा करनी है.!