सदस्यता बहाली के बहाने नए ‌सदस्य बनाकर अपना वर्चस्व बरकरार रखने के प्रयास

 सदस्यता बहाली के बहाने नए ‌सदस्य बनाकर अपना वर्चस्व बरकरार रखने के प्रयास


सदस्यता बहाली के बहाने नए ‌सदस्य बनाकर अपना वर्चस्व बरकरार रखने के प्रयास


पिछले कुछ समय से बिश्नोई समाज में सामाजिक नेतृत्व को लेकर उथल-पुथल मची हुई है। वर्चस्व की लड़ाई में सामाजिक सौहार्द के बजाय समाज को कोर्ट कचहरियों में घसीट कर समाज की साख को बट्टा लगाया जा रहा है। दशकों से समाज के सामाजिक और राजनैतिक विकास में भागीदार रही सिरमौर संस्था महासभा धीरे-धीरे आम बिश्नोई लोगों में अपनी विश्वसनीयता खोती जा रही है। कारण जो भी रहें हो पर समाज के लिए ऐसा होना ठीक नहीं है। 


जिन लोगों को समाज ने सिर-आंखों पर बिठाकर सामाजिक नेतृत्व सौंपा वो अब सामाजिक नेतृत्व को ढाल बनाकर अपनी राजनीतिक पेठ बचाने असफल प्रयास कर रहे हैं। 

जैसे हालात महासभा के हैं वैसे ही अधीनस्थ संस्थाओं के हैं। जहां महासभा में चुनाव न करवा कर एक ही राजनैतिक विचारधारा से प्रेरित और जी-हजूरी करने वाले लोगों को नित नई कमेटी बनाकर जोड़ा जा रहा है वहीं अधीनस्थ संस्थाओं में निर्वाचित प्रधानों को जबरन हटा कर मनमुताबिक प्रधानगी बांटी जा रही है। इन सब कार्यों के लिए समाज को राजनीतिक विचारधारा की भेंट चढ़ाने का कार्य हरियाणा के भावी मुख्यमंत्री कर रहे हैं।‌ हालांकि इतना सब कुछ करके और अखबारों में सामाजिक सौहार्द कायम करवाने वाले लीडर के तौर पर छपवाने के बावजूद पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। 

अपनी खोती राजनीतिक पेठ को झूठे सामाजिक सद्भाव के जरिए बरकरार रखने के प्रयास में असफल रहे तो सामाजिक नेतृत्व खोने का भय सताने लगा। इसको बरकरार रखने का नया पैंतरा चला जिसकी भेंट बिश्नोई सभा, हिसार चढ़ी।

 बिश्नोई सभा, हिसार में निर्वाचित प्रधान प्रदीप बेनीवाल से प्रधानगी छीन कर जगदीश कड़वासरा को प्रधान बनाना तो अब पुरानी बात हो गई। ₹11-11 हजार देखकर सभा के सदस्य बने लोगों से सदस्यता छीनने के प्रयास में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। सदस्यों ने वाद दायर कर रजिस्टार से सदस्यता बहाली के आदेश जारी करवा लिए तो कठपुतली नेतृत्व चुनने की चाल को जारी रखते हुए कुलदीप बिश्नोई एक तरफ अपने घर पर सदस्यों की बैठक का आयोजन करते हैं वहीं दूसरी सदस्यता बहाली के आदेश के विरुद्ध अपील दायर करवाते हैं। जैसे तैसे राजनीतिक दबाव से नया निर्णय जारी करवाने में कामयाब रहते हैं ताकि अपने पसंद का प्रधान बनाने में कोई दिक्कत न हो। जब रजिस्टार ने अपने ही निर्णय को पलटते हुए केवल चैक देकर सदस्यता ग्रहण करने वाले लोगों को ही सदस्य माना तो कुलदीप बिश्नोई के पसंद के नेतृत्व चुनने की चाह को पर लग आए। आनन-फानन में वर्तमान प्रधान से अखबार में सदस्यता संबंधित इश्तिहार निकलवाया। जिसमें सदस्यता शुल्क ₹11 हजार की जगह ₹100 रखा गया और बिश्नोई सभा, हिसार में सदस्यता फॉर्म, सदस्यता शुल्क (जरिए चैक) सहित जमा करवाने को बात कही जिसमें अंतिम तिथि 20 मई नियत की गई। अखबारी इश्तिहार के जरिए सूचना पहुंचने पर दूर-दराज के गांवों से ,समाज सेवा की नियत लिए लोग बसों द्वारा बिश्नोई सभा, हिसार पहुंचे। लेकिन वहां बिश्नोई सभा का कोई कार्यकारिणी सदस्य, सदस्यता फॉर्म जमा करने और रिसिप्ट देने के लिए मौजूद ही नहीं है। मसलन यह सदस्यता आम लोगों के लिए नहीं बल्कि अपने हितैषी और जी-हजूरी करने वाले लोगों के लिए ही है।‌ 

सभा के पूर्व प्रधान प्रदीप बेनीवाल सहित सैकड़ों लोग बिश्नोई मंदिर हिसार में मौजूद रहे लेकिन सभा का कोई कार्यकारिणी सदस्य का न मौजूद होना उनकी मंशा को स्पष्ट करता है। बेनीवाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा 

सुनने में आ रहा है सदस्यता का कार्य मंडी आदमपुर स्थित कुलदीप बिश्नोई की दूकान जड़और उनकी कोठी पर किया जा रहा है जहां केवल जी-हजूरी करने वाले लोगों को सदस्य बनाया जा रहा है आम बिश्नोई के लिए सदस्यता का कोई प्रोविजन उनके पास नहीं है हालांकि यह बात अलग है कि इश्तिहार में बिश्नोई सभा का पता दिया गया था। 


ऐसे में यह कहना उचित होगा सदस्य बहाली के नाम पर अपने पसंद के सदस्य बनाए जा रहे हैं  ताकि पीछे के चुनाव और ₹11हजारी सदस्यों को झुठलाकर जा सके और अपनी पसंद का प्रधान बनाकर वर्चस्व कायम रख सके।



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