आईएएस परी बिश्नोई : महिला अपनी शक्ति, समर्पण, त्याग और विवेक से समाज को नवीन दिशा प्रदान करने में सक्षम है

 आईएएस परी बिश्नोई : महिला अपनी शक्ति, समर्पण, त्याग और विवेक से समाज को नवीन दिशा प्रदान करने में सक्षम है

आइएएस परी बिश्नोई : महिला अपनी शक्ति, समर्पण, त्याग और विवेक से समाज को नवीन दिशा प्रदान करने में सक्षम है





बिश्नोई समाज में गुरु जांभोजी के पंथ स्थापना से लेकर आज तक महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर है।


जांभाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर  साहित्य संवाद शृंखला - 52 के अंतर्गत "बिश्नोई समाज में महिलाओं की भूमिका: ऐतिहासिक और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में" विषय पर  आभासी मंच पर एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए  अकादमी की  संरक्षिका डॉ. सरस्वती बिश्नोई, पूर्व प्राचार्य, डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर ने कहा कि भारतीय महिलाएं वैदिक काल से ही पर्यावरण संरक्षण की पक्षधर रही है। वर्तमान में पर्यावरण के प्रत्येक घटक के  प्रति सम्मान की आवश्यकता है। गुरु जांभोजी के बताए गए नियमों पर चलते हुए बिश्नोई पंथ की साधारण ग्रामीण महिलाओं की असाधारण कहानी जिसने दुनिया को पर्यावरण संरक्षण का ऐसा संदेश दिया जिसे दुनिया कभी भुला नहीं पाएगी। वृक्षों के लिए बलिदान की विश्व की सबसे बड़ी घटना का नेतृत्व अमृता देवी बिश्नोई  महिला ने किया। आपने विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी एवं उनके सामाजिक अवदान पर विस्तृत प्रकाश डाला। जीवों के प्रति विश्नोई महिलाओं का मातृत्व प्रेम एवं त्याग विश्व में अनुपम है।            

         कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सुश्री परी बिश्नोई, आईएएस, सिक्किम कैडर ने अपने वक्तव्य में  शिक्षा, तकनीकी, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा सेवा, रक्षा सेवा, प्रशासनिक सेवा आदि में जिस ढंग से महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है वह निश्चित रूप से महिला- पुरुष के  भेद को खत्म करती है।

इस अवसर पर आप ने महिला शिक्षा, जागरूकता, अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूकता आदि पर प्रकाश डालते हुए महिला की प्रतिभा को निखारने के अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने की आवश्यकता बताई। महिला अपनी शक्ति, समर्पण, त्याग, तपस्या,विवेक, कार्य के प्रति जज्बा और जुनून से समाज को नवीन दिशा प्रदान करने में सक्षम है। कोई भी बड़ा सामाजिक परिवर्तन या बड़ी सफलता पिता की अभिप्रेरणा एवं माता की प्रेरणा के बिना संभव नहीं है। साथ ही वर्तमान में महिलाओं पर बढ़ते चारित्रिक दुर्बलता संबंधी अपराधों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए महिलाओं को जागरूक करते हुए इनका डटकर मुकाबला करने का आह्वान भी किया। विशिष्ट वक्त्री डॉ. अलका बिश्नोई, आर्मी रिसर्च एंड रेफरल हाॅस्पिटल, दिल्ली ने कहा कि जिस समाज में महिलाओं के प्रति जितना अधिक सम्मान दिया जाता है, वह समाज निश्चित रूप से उतना ही  अधिक सशक्त एवं प्रभावशाली होता है।

आइए जानें आईएएस परी बिश्नोई के बारे में

मुझे खुशी है कि बिश्नोई समाज में गुरु जांभोजी के पंथ स्थापना से लेकर आज तक महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर है। इस समाज की महिलाओं के  प्रति किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं है जो गौरव की बात है। समाज की विभिन्न क्षेत्रों में प्रगतिशील एवं प्रतिभावान महिलाओं का नामोल्लेख करते हुए आपने बालिकाओं से दृढ़ निश्चय एवं बुलंद हौसलों के साथ अपने लक्ष्य की ओर उड़ान भरकर अपनी मंजिल तक पहुंचने की बात कही। विशिष्ट वक्त्री श्रीमती मिलन बिश्नोई, शोध अध्येता, केंद्रीय विश्वविद्यालय, तमिलनाडु ने जांभाणी पंथ के 29 धर्म-नियमों में से जो नियम विशेष रूप से केवल महिलाओं के लिए ही है, उनकी विशद् व्याख्या करते हुए वर्तमान में नशा एवं विभिन्न कुप्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए महिलाओं को विशेष रूप से आगे आने के लिए निवेदन किया। साथ ही कहा कि हम महिलाओं को ही घरों से बाहर निकल कर आगे आना होगा। हमें शहर , गांव, ढ़ाणियों में बैठी महिलाओं को जागरूक करना होगा तथा महिलाओं के उत्थान हेतु समाज द्वारा उनके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखने की आवश्यकता भी बताई।

ज्योति बिश्नोई, सोफ्टवेयर इंजिनियर मध्यप्रदेश ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ- साथ समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी, पुरुषों के बराबर बढ़ते कदम, बालिकाओं का उच्च शिक्षा के प्रति बढ़ता रुझान, समाज में बालिकाओं - महिलाओं की स्थिति पर अपने विचार रखे।यह भी बताया कि आज सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, आर्थिक प्रत्येक क्षेत्र महिलाओं की उपलब्धियों से भरा है, इसमें बिश्नोई महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता है।

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इस अवसर पर कार्यक्रम के आरंभ में अकादमी के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ. बनवारीलाल साहू  ने स्वागताध्यक्ष के रूप में नारी शक्ति और विभिन्न क्षेत्रों में उनकी उपलब्धियों को नवण प्रणाम करते हुए सभी महिला अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया। डॉ. पुष्पा विश्नोई, सहायक आचार्य, राजकीय महाविद्यालय, बावड़ी, जोधपुर ने समस्त उद्बोधनों को व्याख्यायित करते हुए कुशल एवं सफल संचालन किया। औपचारिक धन्यवाद वरिष्ठ समाज सेविका एवं अकादमी के वरिष्ठ सदस्या श्रीमती सुनीता बिश्नोई ने ज्ञापित किया।

तकनीकी समन्वयक की भूमिका डॉ. लालचंद बिश्नोई ने बखुबी से निभाई वहीं संपूर्ण कार्यक्रम के सूत्रधार विनोद जंभदास कड़वासरा थे। वरिष्ठ समाजसेवी राजाराम धारणिया, इंजीनियर आर.के. बिश्नोई, डॉ. सुरेंद्र कुमार, आत्माराम पूनिया, कृष्णलाल काकड़, छोटुराम, डॉ.बंशीलाल, सूबेदार केहराराम, डॉ.रामस्वरूप जंवर, भंवरी विश्नोई, इंजीनियर भागीरथ बिश्नोई, बी. आर. डेलू, डॉ.भंवरलाल, ओमप्रकाश गोदारा, अनिल कुमार विश्नोई सहित  सैकड़ों साहित्य प्रेमियों एवं सामाजिक लोक चेताओं ने विभिन्न आभासी मंचो के माध्यम से प्रतिभाग किया।

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