बिश्नोईयों का वार्षिक मेला आज, देश के कौने कौने से पहुंचे लाखों श्रद्धालु
फाल्गुन की अमावस्या के उपलक्ष में आज बिश्नोई समाज के सबसे बड़े माने जाने वाले धाम, मुक्ति धाम मुकाम पर मेले का आयोजन हो रहा है जिसमें देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु अपने परम श्रद्धेय गुरु जांभोजी भगवान के दर्शनार्थ शामिल हो रहे हैं। मुक्ति धाम मुकाम के साथ बिश्नोईयों के आद्य स्थल समराथल धोरा, जांभोजी के जन्म स्थल पीपासर, लोहावट साथरी, कांठ उत्तर प्रदेश, सोनड़ी, मेघावा और भिंयासर साथरी पर भी मेले का आयोजन किया जाता रहा है।
विगत 2 सालों से कोरोना महामारी के मध्य उपजे खतरे के मध्यनज़र मेले का आयोजन नहीं किया गया। इस वर्ष भी मेले से पूर्व महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बुढ़िया के नेतृत्व में मेला संबंधी व्यवस्थाओं को लेकर तैयारी जोरों शोरों से थी। चूंकि राजस्थान में राज्य सरकार ने किसी भी प्रकार के आयोजन संबंधी सभी प्रकार की छूट दे रखी। इसी को देखते हुए महासभा के सचिव ने मेले की पूर्व संध्या जांभाणी सत्संग और आज के दिन खुला अधिवेशन धर्म सभा के आयोजन संबंधित खबर प्रिंट मीडिया में प्रकाशित करवाई थी। हालांकि खुला अधिवेशन संबंधित सूचना महासभा के तथाकथित संरक्षक महोदय को रास नहीं आई और उन्होंने एक लेटर हेड जारी कर खुला अधिवेशन नए करने संबंधित फरमान जारी कर दिया। जिसके बाद महासभा ने खुला अधिवेशन न आयोजित करने का फैसला लिया।
गत रात शिवरात्रि के पावन पर्व के रूप अमावस्या के अवसर पर निज मंदिर मुक्ति धाम मुकाम के परिसर में जागरण का आयोजन किया गया। इस जागरण में महासभा अध्यक्ष सहित समाज के संत श्रेष्ठ व राजनीतिक नेतृत्व ने भाग लिया और मेले में पधारने वाले व युट्युब पर देखने वाले लोगों को अपने विचारों से लाभान्वित किया।
आज सुबह से ही निज मंदिर के परिसर में रखे बड़े हवन कुंड में यज्ञ हो रहा है जिसमें मंदिर आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु आहुति देकर स्वयं, परिवार, समाज और राष्ट्र की मंगल कामना करते हैं। हर वर्ष इस अवसर पर होने वाले यज्ञ में सैकड़ों मण घी की आहुति श्रद्धालु जनों द्वारा दी जाती है जिससे यहां के आसपास का वातावरण शुद्ध होता है।
श्रद्धालुजन सबसे पहले अपने आद्य स्थल समराथल धोरा धाम पर पहले लेकर धोक लगाते हैं उसके पश्चात गुरु जांभोजी के समाधि स्थल मुक्ति धाम मुकाम मंदिर में गुरु के चरणों में शीश नवाते हैं। फिर जांभोजी के जन्म स्थान पीपासर धाम होते हुए निर्वाण स्थल लालासर साथरी भी दर्शनार्थ जाते हैं।
28 फरवरी से ही बिश्नोई महाकुंभ में सम्मिलित होने के लिए मुकाम में श्रद्धालु जमा होने लग गए थे। आज लाखों श्रद्धालु एक यज्ञ की पवित्र ज्योति में साथ गुरु महाराज के दर्शन करेंगे और अपने तम-विकार को तजकर प्रेम व सद्भाव की भावना ग्रहण करेंगे।