मुकाम मेले में खुले अधिवेशन से फैल सकता है कोरोना, श्रद्धालुजन चढ़ावा व चंदा दें ताकि सुधरे हालात
जय खीचड़
बिश्नोई समाज का वार्षिक मेला मुक्तिधाम मुकाम पर फाल्गुन की अमावस्या के उपलक्ष्य में 28 फरवरी से 3 मार्च 2022 तक आयोजित होने जा रहा है। मेले में देश के कौने कौने से बिश्नोई समाज के लोग अपने श्रद्धेय गुरु जाम्भोजी के दर्शनार्थ आएंगे। मेले की व्यवस्थाओं को लेकर महासभा की बैठक 8 फरवरी को महासभा अध्यक्ष देवेंद्र बुड़िया की अध्यक्षता में मुकाम में रखी गई जिसमें मेले की व्यवस्थाओं को लेकर एसडीएम व जिला कलेक्टर बीकानेर को लिखित ज्ञापन दिया गया। मेले की व्यवस्थाओं को लेकर प्रतिबद्ध जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने 21 फरवरी को कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक आयोजित की।
इसके इत्र मेले के आयोजन और व्यवस्थाओं को लेकर महासभा के सचिव रूपाराम बिश्नोई, एसडीएम बीरआर भोजक की अध्यक्षता में हुई बैठक में भाग लेते हैं और मेले व्यवस्था का एजेंडा प्रस्तुत कर सम्पूर्ण व्यवस्था सुचारू बनाए रखने की मांग करते हैं और 1 मार्च के अमावस्या को रात्रि जागरण व 2 मार्च को हवन व समाज के खुले अधिवेशन संबंधित सूचना विभिन्न अखबारों में प्रिंट करवाते हैं। इसके बाद अचानक समाज के खुले अधिवेशन से कोरोना का खतरा बढ़ जाता है और महासभा के संरक्षक उपाहपोह में सीधे सचिव के नाम से शोशल मीडिया पर पत्राचार करते हुए एक लेटरहेड जारी करते हैं और बढते कोरोना के खतरे को इंगित करते हुए खुला अधिवेशन आयोजित न होने का आदेश देते हैं।
अरे भई तनिक रूको और जानों तो सही राज्य सरकार ने राजस्थान में सभी प्रकार के आयोजन पर छुट दे रखी है उसके उपरांत महासभा को लग रहा है कि धर्म सभा से कोरोनावायरस फैल सकता है लेकिन मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ से नहीं। अब आप कहोगे ऐसा क्यों? तो ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ समय पहले संरक्षक महोदय ने संरक्षक होने का दायित्व निभाते हुए समाज में सामाजिक व सांस्कृतिक रीति-रिवाजों को बुलंदियों पर पहुंचाने का कार्य किया था जिससे समाज के लोगों में इनके प्रति प्रेम बढ़ गया अब जब धर्म सभा का आयोजन होगा तो संरक्षक महोदय के स्वागत में भीड़ उमड़नी लाज़मी है इससे कोरोना का खतरा तो बढ़ेगा ही।
दूसरी बात यह कि महासभा द्वारा निर्धारित समय में करवाए गए चुनावों से भी समाज बहुत खुश है समाज के लोगों को महासभा विभिन्न प्रकोष्ठों में निर्वाचित होकर समाज सेवा का अवसर मिला है। तो महासभा किसी शीर्षस्थ कार्यकारिणी को धन्यवाद कहने के लिए निर्वाचित लोगों की मेले के दौरान भीड़ लगनी लाज़मी थी जिससे भी कोरोना फैलने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है।
तीसरा कारण यह है कि महासभा ने बिश्नोई समाज के बिश्नोई रत्न चौधरी भजन लाल जी बिश्नोई का बूत (मुर्ति/स्टेच्यू) मंदिर परिसर में मुकाम मेले में लगाना प्रस्तावित किया था चूंकि इस दौरान अगर चौधरी साहब का स्टेचू अगर मंदिर परिसर में लगाया जाता तो इससे भीड़ बढ़ना लाज़मी थी जिससे भी कोरोना फेलने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है।
मेले में आने वाले श्रद्धालुजनों से निवेदन है कृपया अधिक से अधिक मंदिर में चढ़ावा चढ़ाएं व चंदे की रसीद कटावें जिससे तीव्रता से फेलते कोरोना पर नियंत्रण जा सके।