अंटार्कटिका में तिरंगा : माइनस 55 डिग्री तापमान में रिसर्च दल के साथ गए उम्मेदनगर के पूनाराम बिश्नोई
जलवायु संबंधी रिसर्च करने के लिए एक साल बर्फीले रेगिस्तान पर बिताया
जोधपुर के उम्मेदनगर निवासी रिटायर्ड आर्मी फौजी पूनाराम विश्नोई बर्फ के रेगिस्तान अंटार्कटिका में जलवायु संबंधी रिसर्च करने के लिए भारत के 40 वें अभियान दल का हिस्सा बने। 44 सदस्यों के दल में 5 वीं बार सम्मलित हुए पुनाराम विश्नोई एक साल तक वहां रहे। अब 19 जनवरी को वतन लौटे हैं। उन्होंने बताया कि अंटार्कटिका को एक बर्फीला रेगिस्तान कहते हैं। यहां केवल 8 इंच ही बारिश होती है। तेज हवाओं वाला महाद्वीप भी कहते हैं। ये चारों ओर दक्षिण महासागर से घिरा हुआ है। क्षेत्रफल 140 लाख वर्ग किमी है। यहां कोई इंसान नहीं रहता, केवल अपनी शोध के लिए जाते हैं।
99% हिस्सा बर्फ से ढका है अंटार्कटिका
अंटार्कटिका का 99% भाग बर्फाच्छादित है। बर्फ की औसतन मोटाई 1.6 किमी है और यहां धरती का 90% साफ पानी है। विश्नोई ने जानकारी दी कि भारत लौटने से पूर्व कुछ दिन कोरोना के कारण उन्हें और टीम को साऊथ अफ्रीका के केपटाउन में आइसोलेट होना पड़ा। अंटार्कटिका में भारतीय स्टेशन का नाम मैत्री है।
भारतीय स्टेशन मैत्री पर पूनाराम विश्नोई |
अब तक 5 बार जलवायु संबंधी रिसर्च टीम के साथ पहुंचे अंटार्कटिका
पूनाराम विश्नोई प्रथम बार वर्ष 1999 में आर्मी में रहते हुए इस अभियान का हिस्सा बने थे। विश्नोई वर्ष 2007 में आर्मी से सेवानिवृत्त हो गए। इसके बाद भी वर्ष 2008, 2011, 2013 व इस बार 2021 में 5 वीं बार वो अंटार्कटिका में जलवायु रिसर्च हेतु गए।
ऐसी होती है ड्रेस व रहने के लिए रूम
विश्नोई ने बताया कि चुंकि पूरा क्षेत्र बर्फाच्छादित है अतः वहां विशेष 10 फीट पिलर पर टिके इलोक्ट्रोनिक वाटर हीटर की परत से बने कैबिन में रहना होता हैं जहां तापमान वातानुकूलित किया जाता है। पानी को विशेष प्रकार के जेनरेटर युक्त हीटर से गर्म रखा जाता था। तापमान माइनस 55 डिग्री में विशेष प्रकार के जूते व ड्रेस होती है।
ड्राई फ्रूट ही ज्यादा खाते हैं
विश्नोई ने बताया कि खाने में अधिकतर ड्राई फ्रूट्स के साथ ही तरल खाद्य पदार्थों में जूस का अधिक इस्तेमाल किया जाता है। अन्य खाद्य सामग्री में अनाज के साथ सब्जियां साउथ अफ्रीका के केपटाउन से आती हैं, चूंकि मौसम सर्द रहता है तो खाद्य सामग्री अधिक दिनों तक सुरक्षित रहती है।