बचपन में मां को खोया, इंटरव्यू से पहले पिता ने छोड़ा साथ फिर भी हिम्मत नहीं हार RAS बने अशोक कुमार बिश्नोई
शिक्षा मनुष्य के जीवन में संस्कारों का बीजारोपण करती है और संस्कार हमेशा मनुष्य को बड़ा बनाते है। लेकिन हमारी की धारणाएं आज भी इससे भिन्न है। हम शिक्षित व्यक्ति की सफलता का पैमाना सरकारी नौकरी मानते हैं। जैसे-जैसे शिक्षा का क्षेत्र व्यापक होकर ग्रामीण अंचलों में इसका विस्तार हुआ है वैसे-वैसे सफलता के सर्वमान्य पैमाने को पार करते हुए ग्रामीण युवा नित नए सफलता के शीर्ष मकाम हासिल कर रहे हैं। इन्हीं सफल युवाओं में से एक अशोक बिश्नोई है। जिन्होंने ठेठ देसी परिवेश से निकलकर RPSC की राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS 2016) में 38 वी रैंक (Rank) हासिल कर SDM बने है।
RAS Ashok Kumar Bishnoi Biography | आरएएस अशोक कुमार बिश्नोई जीवन परिचय
मूलतः बाड़मेर जिले से संबंध रखने वाले अशोक बिश्नोई का जन्म बाड़मेर जिले के धोरीमन्ना में एक किसान परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम श्री किशनलाल धतरवाल है। जिन्होंने जीवन में निजी शिक्षक के रूप में युवाओं का भविष्य बनाने में महती भूमिका निभाई। अशोक महज 10 वर्ष के रहे होंगे जब इन्होंने अपनी माता को खो दिया। बचपन में ही संघर्ष से दो-दो हाथ करने वाले अशोक के पिता ने भी आरएएस के इंटरव्यू से ठीक 10 दिन पहले छोड़ दिया। ऐसी विकट परिस्थिति में भी अशोक ने अपने ध्येय को ध्यान में रखते हुए साक्षात्कार दिया और आएएस परिणामों में सफलता के झंडे गाड़ दिए।
RAS Ashok Kumar Bishnoi EDUCATION | अशोक कुमार बिश्नोई : शिक्षा
अशोक बिश्नोई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा धोरीमना के आदर्श विद्या मंदिर स्कूल से ग्रहण की। वहीं इंटर तक की पढ़ाई मरुधरा विद्यापीठ विद्यालय बाड़मेर से प्राप्त की। इसके पश्चात 12वीं की शिक्षा शैक्षणिक नगरी कोटा से निजी विद्यालय से ग्रहण की। 12वीं की परीक्षा देते ही इनका चयन बीटेक के लिए MNIT, भोपाल में हो गया। जहां से कम्प्यूटर साइंस में स्नातक की पढ़ाई करते वक्त अंतिम वर्ष में नामी सॉफ्टवेयर कंपनी Nagarro में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर पेलेसमेंट हो गया।
इस दौरान बहुमुखी प्रतिभा के धनी अशोक बिश्नोई ने सिविल सेवा में जाने का मन बनाया और तैयारी में लग गए। प्रीलिम्स परीक्षा पास करने के पश्चात इन्हें लगा कि अब जॉब छोड़ कर पूरा फॉक्स से पढ़ाई में लगाना चाहिए और ऐसा ही किया। हालांकि यह दांव उनका उल्टा पड़ गया जब संघ लोक सेवा आयोग द्वारा सिविल सर्विसेज परीक्षा में उनका अंतिम रूप से चयन नहीं हो पाया लेकिन इसके तुरंत बाद राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा (RAS 2016) में टॉप 50 में जगह बनाकर सफलता का परचम लहराया।
आरएएस बनने के प्रेरणा स्त्रोत और तैयारी
एसडीएम अशोक विश्नोई के सफल होने के पीछे उनके पिता के त्याग और तप की कहानी छुपी हुई है। दरअसल इनके पिता ने पक्का घर बनाने की जगह अपने बेटे बेटियों को शिक्षित कर सफल बनाने की ठानी। कहते हैं शिक्षा की जड़ें बहुत गहरी होती है इन जड़ों को मेहनत और पसीने से श्री किशनलाल धतरवाल सिंचित करते रहे परंतु स्वयं फलीभूत होने से पूर्व ही रुखसत हो लिए।
पिता के त्याग को अपनी किस्मत की लकीर मान अशोक बिश्नोई मेहनत करते हुए शिक्षा में हमेशा अव्वल रहे और एमएनआईटी भोपाल से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में स्नातक करते ही निजी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर लगे। परंतु इनका अंतिम लक्ष्य प्रशासनिक भागीदारी निभाते हुए जनसेवा का था। वर्ष 2016 में यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा और राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा में एक साथ भाग्य आजमाया। यूपीएससी में तो अंतिम रूप से चयनित नहीं हो पाए लेकिन इसका फायदा यह रहा कि आरएएस का 50% सिलेबस यूपीएससी से कवर हो गया। परीक्षा से कुछ समय पूर्व अशोक जयपुर आ गए और यहां के नामी कोचिंग संस्थान स्प्रिंग बोर्ड की नियमित टेस्ट सीरीज को ज्वाइन किया व साथ ही साथ सेल्फ स्टडी करते हुए बहुत ही कम समय में तैयारी कर परीक्षा व साक्षात्कार में अपना शत-प्रतिशत देते हुए परीक्षा परिणामों में संपूर्ण राजस्थान में 38वीं रैंक से आरएएस चयनित हुए।
बहन का भी हुआ आरएएस में चयन, तीन भाई बहन उच्च शिक्षा में अध्ययनरत
अशोक बिश्नोई के पिता ने अपने बच्चों के शैक्षणिक आधार (जड़ों) को मजबूत किया। जिसका परिणाम आज बच्चों की उपलब्धियों के रूप सामने हैं। पांच भाई बहनों में सबसे बड़े आईआईटियन अशोक बिश्नोई ने RAS बनकर पिता के सपनों को पर लगाए। इनके भाई बहन भी इन्हीं के नक्शे-कदम पर चलते हुए सफलता अर्जित कर रहे हैं। बहन ओमी विश्नोई ने राजस्थान पुलिस में SI के पद पर सेवारत रहते हुए RPSC द्वारा आयोजित RAS 2018 में 902वीं प्राप्त की है। दूसरे भाई भजनलाल देश के नामचीन विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में गोल्ड मेडलिस्ट और पीएचडी होल्डर है और वर्तमान में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। तीसरे पुत्र भुवनेश जिन्हें उत्तराखंड सरकार का सर्वश्रेष्ठ योग पुरस्कार 'योगी श्री' मिला है; उच्च अध्ययन में दिल्ली में अध्यनरत है। दूसरी बहन भी निश्चित ही पिता के सपनों को साकार करेगी।
वर्तमान में बीकानेर के एसडीएम अशोक बिश्नोई
अशोक बिश्नोई प्रशिक्षण कार्यकाल के दौरान चूरु एसीएम (सहायक कलेक्टर) रहे। प्रशिक्षणोपरांत प्रथम पदस्थापन सहायक निदेशक (लोक सेवाएं) एवं प्रभारी अधिकारी जैसलमेर के रूप में हुआ। वर्तमान में आप एसडीएम बीकानेर के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।
इसे भी पढ़ें:
दिनेश कुमार बिश्नोई बने इसरो में वैज्ञानिक