'एयर वॉइस मार्शल' बीके बिश्नोई : जीवन परिचय | AVM BK Bishnoi Biography
नमस्कार साथियों! Bishnoism.Org पर आपका स्वागत है। आज की यह ब्लॉग पोस्ट जानकारी की दृष्टि से आप सभी के लिए महत्वपूर्ण है। हम इस पोस्ट में बात करेंगे समाज को गौरवान्वित करने वाले जांबाज AVM बीके बिश्नोई कि जिन्होंने दो बार भारत-पाक युद्धों में (1965, 71) में एयर ऑपरेशंस का प्रतिनिधित्व करते हुए भारत की विजय शंखनाद में अहम भूमिका निभाई। AVM बीके बिश्नोई से संबंधित रोचक तथ्य से परिपूर्ण इस ब्लॉग पोस्ट को पूरी अवश्य पढ़ें।
अपने प्रकृति प्रेम और आथित्य सेवा के लिए विख्यात बिश्नोई समाज देश सेवा में भी सदैव तत्पर रहा है। बिश्नोई समाज के अनेक लोगों ने वन व वन्य जीवों को बचाने व राष्ट्र रक्षा के लिए सरहद पर अपना बलिदान दिया है। आज की कहानी है समाज के एक ऐसे ही जांबाज सिपाही 'एयर वाइस मार्शल' बीके बिश्नोई कि जिन्होंने भारतीय वायुसेना में सेवारत रहते हुए अपने अदम्य साहस और शौर्य के बल पर देश रक्षा के क्षेत्र में नये प्रतिमान स्थापित किए।
AVM बीके बिश्नोई : संक्षिप्त जीवन परिचय
AVM भूपेंद्र कुमार बिश्नोई का जन्म पंजाब प्रांत के अबोहर जिले के निकटवर्ती ग्राम सीतोगुन्नो के एक अप्पर मिडल क्लास परिवार में हुआ। भूपेंद्र कुमार के पिता का नाम श्री राम प्रताप खीचड़ था। रामप्रताप खीचड़ पंजाब पुलिस में उप अधिक्षक रहे। उन्होंने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की सुरक्षा में अपनी महत्ती भूमिका निभाई। बीके बिश्नोई के बड़े भाई सुदर्शन कुमार बिश्नोई भारतीय वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टीनेंट थे। जिन्होंने देश की हिफाजत में अपना बलिदान दिया।
देशभक्ति की भावना बीके बिश्नोई को पारिवारिक विरासत में मिली। श्री बिश्नोई भी अपने पिता और भाई की तरह राष्ट्र सेवा को चुनते हुए वर्ष 1953 में वायु सेना में सम्मिलित हुए। उन्होंने हवाई युद्ध कौशल का प्रदर्शन भारत-पाक युद्ध 1965, 71 में किया। देश के जांबाज बेटे बीके बिश्नोई ने दोनों युद्धों में वायु सेना के अनेक ऑपरेशंस का प्रतिनिधित्व करते हुए भारत की विजय शंखनाद का आगाज किया।
शिक्षा और वायुसेना में कमीशन : AVM BK Bishnoi
बीके बिश्नोई ने प्रारंभिक शिक्षा से लेकर 10वीं तक की शिक्षा लाहोर से ग्रहण की। जब भूपेंद्र कुमार दसवीं कक्षा में थे तो देश का विभाजन हुआ और परिवार के साथ दिल्ली आ गए। आगे की शिक्षा उन्होंने दिल्ली में ग्रहण की। कॉलेज की शिक्षा ग्रहण करते समय एक बार भारतीय वायु सेना का मोटिवेशनल सेमिनार कॉलेज में लगा। वायु सेना के अधिकारियों ने युवाओं से वायुसेना से जोड़ने का आग्रह किया। युवा भूपेंद्र कुमार ने वायुसेना से जुड़ने के लिए फॉर्म भरा और जमा करवा दिया। उसके बाद परीक्षा हुई और साक्षात्कार हुआ जिसमें वो उत्तीर्ण हुए। फिर फाइटर पायलट का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षणकाल में बीके बिश्नोई ने अपना उत्कृष्ट प्रशिक्षण कौशल व उच्चतम नेतृत्व क्षमता को दर्शाते हुए अनेक उपलब्धियां अपने नाम की। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्हें 10 अक्टूबर, 1953 को वायु सेना में कमीशन किया गया।
भारत पाक युद्ध 1965 : स्क्वाड्रन लीडर BK Bishnoi 15 दिनों में 16 ऑपरेशनल मिशनों को अंजाम दिया
1965 के युद्ध के दौरान स्क्वाड्रन लीडर भुपेन्द्र कुमार बिश्नोई को वायुसेना के आक्रमणकारी लड़ाकू दल Striker Force के लिए चुना गया। 7 सितम्बर 1965 Operation Riddle के दौरान पायलट भुपेन्द्र कुमार बिश्नोई ने लड़ाकू विमान Hawker Hunter से उड़ान भरते हुए दुश्मन देश के सैन्य ठिकानों, गौला बारूद, तेल व राशन भण्डारों के अलावा वहां के सामरिक महत्व के महत्वपूर्ण ठिकानों को तहस-नहस कर दिया। बिश्नोई ने 15 दिनों में 16 ऑपरेशनल मिशनों को अंजाम दिया। जिनमें से सात कासुर व लाहौर सेक्टर में दुश्मन सेना के ठिकानों को तबाह करने व उनके गोले बारुद को खत्म करने के लिए प्रयुक्त किए गए।
स्क्वाड्रन लीडर भूपेंद्र कुमार बिश्नोई ने चार विमानों के गठन के साथ कासुर व लाहौर क्षेत्र में गोला-बारूद की कमी दूर करने के लिए गोला-बारूद ले जा रही ट्रेन को रायविंड रेलवे स्टेशन पर नष्ट कर दिया। इस महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम देते हुए बिश्नोई व उनकी टीम ने भी दुश्मन सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।
इस ऑपरेशनल मिशनों में उन्होंने दुश्मन के कम से कम दस टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और बंदूकों को नष्ट या क्षतिग्रस्त कर दिया। यद्यपि उनके विमान को तीन अलग-अलग मौकों पर दुश्मन की जमीनी गोलाबारी से निशाना बनाया गया परन्तु अपनी सूझबूझ से बिश्नोई ने हर बार जमीनी हमलों को दबा दिया।
इन सभी अभियानों के दौरान स्क्वाड्रन लीडर भूपेंद्र कुमार बिश्नोई ने वायु सेना की सर्वोच्च परंपराओं में साहस और नेतृत्व का परिचय दिया।
इसके लिए उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा गैलंट्री अवॉर्ड वीर चक्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
भारत-पाक युद्ध 1971 : स्क्वाड्रन लीडर बीके बिश्नोई ने ढाका के गवर्नर हाउस को तबाह कर मात्र 3 मिनट में भारत की विजय का शंखनाद किया
दिसंबर 1971 में विंग कमांडर भूपेंद्र कुमार बिश्नोई अपने फाइटर स्क्वाड्रन के साथ पूर्वी सेक्टर में तैनात थे। पाकिस्तान की नापाक हरकत के चलते उन्हें पूर्वी पाकिस्तान में बने तेजगांव एयरफील्ड को उड़ाने का टास्क दिया गया था। जिसे उन्होंने 2 अन्य लड़ाकू विमानों के साथ मिलकर सफलतापूर्वक पूरा कर दिया था। इस कार्यवाही के दौरान उनके लड़ाकू विमान को भी नुकसान हुआ पर राष्ट्र का यह जांबाज सिपाही बिना हिचकिचाहट के दुश्मनों का संहार करता रहा। इसके बाद उन्होंने 2 अन्य एयरफील्ड उड़ा दिए। उनके इस महत्वपूर्ण सफल ऑपरेशन ने पाकिस्तानी वायुसेना पूरी तरह बेबस कर दिया जिससे उसके लड़ाकू जहाज खड़े के खड़े रह गए।
विंग कमांडर बीके बिश्नोई ने 14 दिसंबर 1971 को तीव्र जमीनी गोलाबारी के बावजूद ढाका के गवर्नर हाउस पर बम गिराए थे। इस हमले से घबराकर वहां बैठक कर रहे पाकिस्तान के गवर्नर ने तुरंत इस्तीफे की घोषणा कर दी थी। इसके साथ ही उन्होंने कोमिला सेक्टर में दुश्मनों के सैन्य ठिकानों पर छापा मारकर उनपर सटीक निशाना साधते हुए उन्हें राख के ढेर में तब्दील कर दिया।
विंग कमांडर भूपेंद्र कुमार बिश्नोई ने पूरे ऑपरेशन के दौरान उच्च कोटि की वीरता, वृत्तिक कौशल और उच्चकोटि के नेतृत्व का परिचय दिया। इसके लिए श्री बिश्नोई को एक बार पुनः 26 जनवरी, 1972 को महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्वारा वीर चक्र से विभूषित किया गया।
AVM भुपेन्द्र कुमार बिश्नोई सेना उन चुनिंदा साहसिक अधिकारियों में से एक है जिन्हें दो बार सेना के सर्वोच्च गैलंट्री अवॉर्ड में से एक वीर चक्र से सम्मानित किया गया हो। 3 दशक से अधिक समय तक समय तक वायु सेना में अपनी सेवाएं देने के उपरांत 'एयर वाइस मार्शल' भुपेन्द्र कुमार बिश्नोई के पद पर रहते हुए सेवानिवृत हुए। भारत के इस बहादुर बेटे पर हम सब को गर्व है।
साथियों हमने आपसे इस ब्लॉग पोस्ट में देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत AVM भुपेंद्र कुमार बिश्नोई के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी साझा की है। आशा है यह आपके लिए रुचिकर और उपयोगी सिद्ध होगी। अगर आपके पास AVM भुपेन्द्र कुमार बिश्नोई से संबंधित कोई प्रश्न, सुझाव या शिकायत है तो टिप्पणी में अवश्य लिखें।
आपसे निवेदन है इस पोस्ट को अपने उन दोस्तों के साथ साझा कीजिए जो भारतीय सेना में लगने की तैयारी में लगे हुए हैं।