आइए जाने पर्यावरण के सजग प्रहरी रामरत्न बिश्नोई के बारे में
बिश्नोई प्रकृति को समर्पित समुदाय है. वन व वन्य जीवों को जीवन देने के लिए असंख्य बिश्नोइयों ने अपना जीवन अर्पण किया है. सद्गुरु जाम्भोजी द्वारा परिणित प्रेरक पंथ का मुख्य ध्येय पर्यावरण संरक्षण रहा है. यही वजह है कि वन व वन्य जीवों की रक्षा के लिए जीवन देने वाले लोगों के अलावा इस पंथ के बहुतेरे पंथी इस कार्य को अपने जीवन का मुख्य ध्येय मानते हुए सिद्दत से प्रयत्नशील है. इन्हीं विरले लोगों में से एक है श्री रामरत्न बिश्नोई. जो पूरे समाज को संगठन के रूप में जोड़कर अपने गुरू के बताये नियमों का पालन ही नहीं करते हैं बल्कि राज्य स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक संस्था का गठन कर पर्यावरण संरक्षण में अमूल्य सहयोग कर रहे हैं.
पर्यावरण के सजग प्रहरी रामरतन बिश्नोई |
रामरत्न बिश्नोई का जन्म 15 मार्च 1966 को गांव श्री बालाजी तहसील व जिला नागौर में श्री हरचन्द राम सीगड़ के यहां हुआ. रामरत्न बिश्नोई वाणिज्य में स्नातकोत्तर है तथा बिश्नोई परिवार में जन्म होने के कारण श्री बिश्नोई का जुड़ाव वन व वन्य जीवों से रहा हैं. रामरत्न बिश्नोई लेखक तथा प्रवक्ता भी है. श्री बिश्नोई ने गुरू जाम्भोजी के जीवन पर किताबें भी लिखी हैं. रामरत्न बिश्नोई नागौर से संध्याकालीन छपने वाले अखबार दैनिक नागौर की आवाज के सम्पादक है. श्री बिश्नोई विभिन्न सामाजिक संस्थाओं तथा संगठनों से जुड़े रहे हैं. श्री बिश्नोई के सामाजिक कार्यों को देखते हुए इन्हें समय-समय पर विभिन्न सामाजिक संगठनों तथा संस्थाओं ने सम्मानित भी किया है. राजस्थान सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा श्री बिश्नोई को अमृता देवी पर्यावरण पुरस्कार समिति का मानद सदस्य भी बनाया जा चुका है. रामरतन बिश्नोई को राज्य सरकार, अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा, पत्रकार संघ तथा विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा अनेक बार सम्मानित किया जा चुका है.
रामरत्न बिश्नोई का पारिवारिक परिचय
रामरत्न बिश्नोई की धर्मपत्नी श्रीमती पूनम देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला है. इनके एक बेटा तथा एक बेटी है जो पढ़ाई कर रहे हैं. बेटा लक्ष्मण बिश्नोई 'लक्ष्य' मोटिवेशनल स्पीकर है. पढ़ाई में होशियार होने के कारण NET-JRF के साथ सूबे की सबसे बड़ी परीक्षा RAS(राजस्थान प्रशासनिक सेवा) की मुख्य परिक्षा पास कर चुके हैं जिसका साक्षात्कार होना अभी बाकि है. बेटी पूजा बिश्नोई भी पिता कि तरह पढ़ाई में होशियार होने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय है. पूजा ने इतिहास विषय से NET परीक्षा उत्तीर्ण की है. पिछले दिनों परिवार के साथ मिलकर लाडली हिरणी सोना का जन्म दिन भी मना चुकी है. पूजा, मूक वन्यजीव हिरण के अनाथ शावकों का लालन-पालन करती है. श्री बिश्नोई ने बताया कि पूजा के शयन-कक्ष में छ: हिरण सोते हैं. उनको दूध पिलाना, पानी पिलाना, खाद्य सामग्री देना, सुबह-शाम बाहर घुमाना, साफ सफाई करना, गोद में खिलाना,लाड-प्यार करना, पौधे लगाना, उनमें पानी सींचना , घर के काम करने के साथ साथ पढाई करना आदि गौरवपूर्ण कार्य है बिटिया पूजा के.
वर्तमान में रामरत्न बिश्नोई नागौर शहर में रहते हैं. श्री रामरतन जी ने बताया कि वो बचपन से ही पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में निरन्तर प्रयासशील रहे हैं. रामरत्न बिश्नोई वर्ष 1996 से 2010 तक अखिल भारतीय बिश्नोई जीव रक्षा सभा के लिए नागौर के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उन्होंने बताया कि 2012 के बाद से अखिल भारतीय बिश्नोई जीव रक्षा सभा का संचालन सही तरह से नहीं हो पा रहा था तथा संगठन में लोकतान्त्रिक तरीके से ना अधिवेशन बुलाया गया था ना संगठन की सभा बुलाई गयी. राष्ट्रीय स्तर के संगठन का नेतृत्व गड़बड़ा जाने से जीव रक्षा कार्यकर्ताओं में बिखराव आने लगा तथा जगह-जगह स्थानीय संगठन बनने लगे और आपसी तालमेल के अभाव में समाज का संगठन कमजोर होने लगा. शिकार की घटनाओं तथा पेड़ों के कटने की घटनाओं का विरोध करने वाला बिश्नोई समुदाय बंटने लगा. संगठन के अभाव में पर्यावरण प्रेमी हताश होने लगे और शिकारियों के हौंसले बढ़ने लगे। ऐसी स्थिति में मुकाम पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी रामानंद जी महाराज ने इस विषय पर चिंतन किया तथा वन्य-जीव एवं पर्यावरण प्रेमियों की भावनाओं को समझते हुए प्रदेश स्तर पर संस्था का गठन करने की आवश्यकता महसूस की.
श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीव रक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान का गठन
रामरत्न बिश्नोई ने बताया कि दिनांक 23 मार्च 2012 को मुक्तिधाम मुकाम में स्थित संस्कृत विद्यालय के प्रांगण में आमसभा का आयोजन किया गया आम सभा में गहन चिन्तन-मंथन के बाद पर्यावरण संरक्षण, वन्य-जीव सुरक्षा. नशा-मुक्त समाज की स्थापना करना तथा धर्म-संस्कार निर्माण करना आदि विषय पर विस्तार से विमर्श किया गया. उक्त बैठक में ही संस्था गठन का निर्णय लिया गया जिसमें सर्वसम्मति से संस्था का नाम श्री जम्मेश्वर पर्यावरण एवं जीव रक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान तय किया गया. जिसका मुख्य कार्यालय गुरू जम्भेश्वर की जन्मस्थली पीपासर जिला नागौर राजस्थान में रखना तय किया गया संस्था को वैधानिक स्वरूप प्रदान करने के लिए स्वामी रामानन्द जी महाराज ने रामरत्न बिश्नोई को संस्था का प्रथम प्रदेशाध्यक्ष मनोनीत किया तथा साथ ही सर्वसम्मति से निर्णय लेकर मुकाम पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी रामानन्द जी को संस्था का संरक्षक नियुक्त किया. आचार्य श्री ने प्रदेश कार्यकारिणी का गठन करने, संस्था का संविधान बनाने तथा राजस्थान सरकार के कानून अनुसार राज्य स्तर की संस्था का पंजीयन कराने का काम श्री बिश्नोई को सौंपा. रामरत्न बिश्नोई ने बताया कि दिनांक 5 जून 2012 को विश्व पर्यावरण दिवस के दिन संस्था का पंजीकरण करवाया गया तब से लेकर आज तक संस्था अपना कार्य सुचारू रूप से कर रही है. हजारों जीवों को शिकारियों से बचाया है तथा जब भी शिकार की कोई घटना होती है, संस्था के सदस्य दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करवाते हैं. वर्तमान में संस्था ने राजस्थान के सात जिलों हनुमानगढ़, बाड़मेर, जालौर, नागौर, श्रीगंगानगर, जोधपुर तथा बीकानेर में ग्राम स्तर पर कार्यकारिणी बना रखी है. जिसमें हजारों लोग इस संस्था से जुड़कर पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में लगे हैं.
श्री बिश्नोई ने बताया कि हमारी संस्था में कार्यरत पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं का पूरा पता व दूरभाष नम्बर परिचावली पुस्तक में अंकित है.
श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीव रक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान के उद्देश्य निम्नलिखित है:
1. पर्यावरण सन्तुलन बनाये रखने के लिये आकाश, वायु, जल तथा वन्य जीवों का संरक्षण करना।
2. वन्य जीवों की सुरक्षा करना, शिकार का विरोध करना, शिकार की घटनाओं की पैरवी करना। वन्य-जीव जन्तुओं के खाने के लिये अनाज-चारा तथा पानी की व्यवस्था करना।
3. घायल वन्य-जीवों के उपचार व चिकित्सा-सुविधा के लिये कार्य करना।
4. समाज के लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करना।
5. वृक्षारोपण करना, वृक्षों की कटाई का विरोध करना तथा वृक्ष काटने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करना।
6. महिलाओं को पर्यावरण संरक्षण, वन्य-जीव संरक्षण एवं नशामुक्ति के क्षेत्र में कार्य करने के लिये जागरूक करना।
श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीव रक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान के प्रयास से श्रीबालाजी में वन्य जीवों के उपचार के लिए दिनांक 7 अक्टुबर को जम्भेश्वर रेस्क्यू सेंटर खोला गया जिसमें घायल हिरण का उपचार करते हुए राजकीय पशु चिकित्सालय के चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मनोजजी जाट गोदारा और श्री ज़ंभेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था के प्रदेशाध्यक्ष रामरतन बिश्नोई.
बिश्नोइज्म परिवार पर्यावरण के सजग प्रहरी रामरत्न बिश्नोई को दिल से सेल्युट करता है। आइए हम भी इनसे प्रेरणा लेकर वन व वन्य जीवों को बचाए, संरक्षण करें.
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