अनपढ़ किसान पिता ने समझा शिक्षा का महत्व , बेटों को बनाया डॉक्टर , प्रिंसीपल व पटवारी
(- कैलाश बैनिवाल )
कहते हैं मरु भूमि के वासियों ने अकाल से ज्यादा कुछ नहीं देखा. हर 2-3 साल में अकाल से दो-दो हाथ यहां के लोगों को करने पड़ते हैं. जीवन जीने की इस जद्दोजहद में शिक्षा के प्रति यहां के लोगों में जागरुकता नगण्य ही रही है. मगर इस भूमि के लोगों में परिस्थितियों को अपने अनुकुल बनाने की क्षमता रही है. यहां के लोगों ने शिक्षा न ग्रहण कर पाने के कारण सामाजिक व आर्थिक पीछड़ेपन दु:ख झेला है. बहुत से ऐसे व्यक्ति इस मरु भूमि पर हुए हैं जो स्वयं अनपढ़ थे. मगर मेहनत-मजदूरी करके अपनी औलाद को शिक्षित किया और परिवार के सभी बच्चे सरकारी नौकरी लगने तक प्रत्यनशील रहे. यह कहानी ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी जोधपुर के बुधरराम पंवार की है. जिन्होंने विपरित परिस्थितियों में मेहनत-मजदूरी कर पूरे परिवार को पढ़ाया. बेटों ने भी सरकारी नौकरी व अपने क्षैत्र में विशिष्ट मुकाम हासिल कर पिता का गौरव बढ़ाया.
जोधपुर जिले के लोहावट क्षेत्र के भजन नगर निवासी किसान बुधरराम पंवार खुद तो अनपढ़ है लेकिन उन्होंने शिक्षा का महत्व बखूबी समझा. पंवार ने अपने बेटों व पोतों को पढाकर प्रिंसीपल, डॉक्टर , फार्मासिस्ट, प्रधानाध्यापक व पटवारी बनाया. बुधरराम के बेटे मोहनलाल व भागीरथ राम प्रिंसीपल, चुतराराम प्रधानाध्यापक, बाबू लाल फार्मासिस्ट, डॉक्टर फरसाराम वरिष्ठ सर्जन, डॉक्टर गोपेश यूरोलॉजिस्ट , ओमप्रकाश पटवारी व जयकिशन एलआईसी का कार्य करते है.
2 बेटे व 4 पोते हैं डॉक्टर
डॉक्टर फरसाराम बालोतरा में विश्नोई हॉस्पीटल एण्ड सर्जिकल सेंटर का संचालन कर रहे हैं. इतना ही नहीं दोनों डॉक्टर भाई कई सामाजिक व शैक्षणिक संस्थानों से जुड़कर सामाजिक सरोकार भी निभा रहे है.
बुधरराम के पोते राजेश व अशोक फार्मासिस्ट, हनुमान लेब टेक्नीशियन, डॉक्टर जगदीश डेंटिस्ट, सुनील व कुलदीप एमबीबीएस व धर्मेंद्र बीएचएमएस कर रहे है. इसके साथ ही पुत्रवधु पुष्पा विश्नोई हास्पीटल की डायरेक्टर व सुशीला जीएनएम है. बुधरराम कहते है कि वो पुराने समय में पढ नहीं सके लेकिन अपने बेटों को पढाया और सफल और काबिल बनाया.
उन्होंने बताया उस वक्त एक गीत शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए गाया जाता था "काका पाटी-बरतो लायदे रे" जिसका परिणाम हमारे सामने है और आज के समय मेे शिक्षा ही सबकुछ हैं.
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