दो तस्वीर, दोनों के अलग-अलग माइने!
प्रथम तस्वीर राज्य पशु ऊंट की चुरु जिले की है जहां तस्वीर में दिख रहे इस मूक प्राणी के मनमुखी द्विपगु हिंसको द्वारा आगे के दोनों पैर कुल्हाडी से काट दिये गए, बचाव के सारे प्रयास निष्फल हुए! ऊंट के मालिक की गलती थी कि इसको बिना चरवाहे चरने के लिए छोड़ दिया जिससे ऊंट को जान गंवानी पड़ी। यह करतुत मानवता के नाम पर कालिख़ पोतने वाली थी।
द्वितीय तस्वीर IGNP(राजस्थान नहर) की RD 898 की है जहां 4 दिनों से नहर में फंसे ऊंट को कुछ युवाओं ने सुझबुझ से सकुशल नहर से बाहर निकाला। यहां भी प्यासा ऊंट पानी को तरसता नहर में उतर गया, फिर नहर की मिट्टी में पांव फंस गये और 4 दिनों तक वहीं तड़फता रहा! आने-जाने वालों से अपनी जान बक्सने की गुजारिश करता रहा। पर इस जहां में मानव को मानव की परवाह नहीं है तो यह ठहरा पशु! आखिर किसी ने बेबसी से श्री कोलायत के RLP के प्रत्यासी डॉ. सुरेश बिश्नोई को सुचना दी। डॉ. सुरेश बिश्नोई व अन्य क्षेत्रिय युवाओं ने मिलकर जेसीबी की सहायता से ऊंट को सकुशल नहर से बाहर निकाला।
प्रथम तस्वीर जहां मानव का कुंठित चेहरा सबके सामने रख रही है जो मानव के विनाश की ओर प्रवृत्त होने का इशारा कर रही है जबकि द्वितीय तस्वीर मानव के मानव होने का परिचय करवा रही है। हमें भी द्वितीय तस्वीर के वीरों से सीख लेनी चाहिए और मानवता को जीवित रखने का प्रयत्न करना चाहिए।
आओ हम मानव धर्म निभायें।
मिलकर जीव-जन्तुओं को बचायें।।
- जय खीचड़