मरु का महत्व : जय खीचड़

मरु का महत्व 


मैंने रेगिस्तान को पानी सा बहता देखा है
मैंने नन्हे परिंदे को मिट्टी में नहाता देखा है!
मरु का महत्व : जय खीचड़

कौन देता अपनी जान किसी को बचाने
यहां वृक्षों को बचाते लोगों को मरते देखा है!

माना कि यहां इंद्रदेव की नहीं रहती कृपा
मैंने यहां शमी को दृढ़ता से बढ़ते देखा है! 

रखते है इस जहां में सिर्फ अपना ख्याल
मैंने यहां जीवों को पुत्र सा पलता देखा है!

ज्वालामुखी सहने की शक्ति है चट्टानों में 
मैंने मरु को परमाणु शक्ति सहन करते देखा है!

२८/०३/२०१५



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