नारी शक्ति को सम्मान | अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष | International Women's Day Special | Respect Women Power | Bishnoism
नमस्कार साथियों,
बिश्नोइज्म एन इकॉ धर्म ( Bishnoism - An Eco Dharma )
युट्युब चैनल/ पर आपका हार्दिक स्वागत है। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ( 8 मार्च ) है। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हम समस्त मातृत्व शक्ति को प्रणाम करते हैं। आइए हम आपको अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बिश्नोई समाज की महिलाओं की अनसुनी कहानी दिखाते हैं जिन्होंने वृक्षों की रक्षा के लिए बलिदान है, वन्य जीवों को अपना दूध पिलाकर बड़े किये है और शिक्षा, प्रकाशनिक सेवाओं से लेकर खेल जगत व समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किये है। वृक्षों को बचाने के लिए सर्वप्रथम करमा व गौरा में सहर्ष अपना बलिदान दिया। ध्यातव्य रहे वृक्षों को बचाने के लिए बिश्नोई समाज के बलिदानों में महिलाएं नेत्री की भूमिका में रही जिसका कारण है। बिश्नोई समाज की महिलाएं वृक्ष व वन्य जीवों को अपने पुत्र के सदर्शय मानती आई है।
प्रे-म ने-म ने राखता, आवि विपदा हेक ।
करमा गौरा देह हित, बचाया व्रख अनेक ॥14॥
क्रमा गौरा रो गौरव, व्रखां सूं घणो ने-ह ।
कल्प बिरछ रे होवंता, होवण लागो मे-ह ॥15॥
(कविता - विष्णोइ, लेखक: जय खीचड़)
वृक्षों के लिए द्वितीय बार तिलवासणी गावं की खींवणी खोखर व नेतू नैण ने सहर्ष प्राणाहुति दी।
खीँ-व-णी मो-टा ने-तू, रूँखा रलि निर्वाण ।
जाँभेजी जिभिया जपतां, परम पद प्रमाण ॥16॥ (वही)
बिश्नोई समाज की स्थापना के दो सदी बाद वृक्षों के लिए बिश्नोई समाज के सबसे बड़े बलिदान खेजड़ली का नेतृत्व अमृता देवी ने किया। जिसमें उनके साथ उनकी तीन पुत्रियां आसु, रतनी, भागु बाई और पति रामू खोड़ भी शहीद हो गए। यहां वृक्षों के लिए 363 पुरुष व स्त्रियों ने बलिदान दिया। यह विश्व का सबसे बड़ा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दिया बलिदान है। विश्व में ऐसे उदाहरण कहीं नहीं मिलते जहां वृक्षों को बचाने के लिए एक साथ इतने लोगों ने बलिदान दिया। इस बलिदान की याद में राजस्थान सरकार वन व वन्य जीवों के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को अमृता देवी पुरस्कार प्रदान करती है। इनके साथ ही साथ बिश्नोई समाज की असंख्य महिलाएं ऐसी हुई जिन्होंने मातृ विहीन हिरण के बच्चों को अपना दूध पिलाकर बड़ा किया है। जिनमें रामादेवी, शारदादेवी व परमेश्वरी देवी प्रमुख है।
रामा सारद परमेसरी, जसोदा जेड़ी माय ।
कृष्णसार एह पाळियो, आपण दूध पिलाय॥ (वही)
वर्तमान में वन व वन्यजीवों के संरक्षण में बिश्नोई समाज के पुरुषों के साथ बहुत सी महिलाएं सक्रिय है। जिनमें श्रीमती सुनीता बिश्नोई प्रमुख है। शिक्षा, संस्कार, खेल व प्रशासनिक सेवाओं में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। जो बिश्नोई समाज की आर्थिक व सामाजिक उन्नति का द्योतक है। आइए अंत में एक बार फिर हम नारी शक्ति को प्रणाम करते हैं, साथियों आपको हमारी प्रस्तुति कैसी लगी जरुर बताएं। विडियो पर लाइक, शेयर व कमेंट करें।
बिश्नोइज्म एन इकॉ धर्म
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