बिश्नोई जाति के विचारशील व्यक्तियों ने, जाति के
संगठन एवं विकास के लिए दिसम्बर, १९१९ में नगीना (ऊ. प्र) में एक सभा की
स्थापना की जिसका नाम बिश्नोई सभा था। फरवरी, १९२१ में प्रचरीत एक परिपत्र
के अनुसार अखिल भारतवर्षीय बिश्नोई सभा का पहला अधिवेशन नगीना में १९२१ में
२६ से २८ मार्च तक हुआ।
इसके सभापति रायबहादुर हरप्रसाद वकिल और
मंत्री रामस्वरुप कोठीवाले थे। इस सभा का सर्वप्रथम कार्यालय नगीना में
स्थापित किया गया था, जो कालान्तर में हिसार स्थानान्तरित कर दिया गया।
आजकल महासभा का मुख्य कार्यालय मुकाम (राज) में है।
महासभा का दुसरा
अधिवेशन श्री चण्डीप्रसाद सिंह की अध्यक्षता में फलावदा में हुआ था। सन्
१९२४ में कानपुर में सभा का तीसरा अधिवेशन हुआ, जिसके सभापति कांट निवासि
स्वामी ब्रह्मनन्द्जी महाराज थे।
सभा का चौथा अधिवेशन हुआ, जिसके
सभापति कांट निवासि स्वामी ब्रह्मनन्द्जी महाराज थे। १९२७ में मार्च २ से ४
तक मुकाम मे महासभा का पांचवा अधिवेशन हुआ, जिसका अध्यक्षता में हुआ था
ढांबा के जेलदार चौ. मामराज धारणिंया ने की थी। बाबु हरप्रसाद्जी की
अध्यक्षता में अबोहर में सन १९४४ में फरवरी ७ से ८ तक महासभा का छठा
अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन में स्वागत समिति के अध्यक्ष श्री हरिराम बोला थे।
१८
मार्च, सन १९४५ में अखिल भारतीय विशनोई महासभा का सांतवा अधिवेशन हिंसार
(हरियाणा) में हुआ। इसके अध्यक्ष थे बिसनपुरा (श्री गंगानगर) निवासी श्री
हरिराम बोला। महासभा का आठवां अधिवेशन सन् १९५५ में २१ से २३ फरवरी तक
मुकाम में हुआ था।
इसके अध्यक्ष भी श्री हरिराम बोला ने हि की थी।
अ. भा. बि. महासभा के उपाध्यक्ष उस समय श्री महिराम धारणिंया थे। आपने १९७५
में ही अपना स्वास्थ खराब होने की वजह से त्यागपत्र दे दिया था।