विष्णु महिमा
एकहीं नाम भज मनवा निष्काम ।
जीवता जुगती मरतां परम धाम । ।
विष्णु रूप अरूप विष्णु, विष्णु पालन हार ।
विष्णु व्याप्त कण कण, विष्णु सृष्टि सार । ।
विष्णु नाम भज मनवा जप्या उतरे पार ।टेर।
लक्ष्मी नारायण रूप कर सुद्रसन धार ।
नाम रूप अनेक एक दया निधि दातार । 1 ।
जंभ विष्णु जाप बतायो, विष्णु परम् उद्धार ।
जो जन सिंवरे निष्काम, पहुंचे मोक्ष द्वार । 2 ।
हरि कवल तन पावियो क्यूँ भूल्यो किरतार ।
विष्णु नाम रसना धार कर जीवन साकार । 3 ।
विष्णु विष्णु भज मनवा, विष्णु जग आधार ।
विष्णु फळ अनंत रसीलो, ध्याता उतरे पार । 4 ।
विष्णु महिमा ‘जय’ बखे, धर निर्मल आचार ।
दया कर शीश धर, कृपा करो दातार । 5 ।
लेखक के बारे में