सैन्यबल और आत्मबल का खेजड़ली में संघर्ष!
राजाओं और सामन्तों को अपने विरोधियों के सैन्यबल से मुकाबला करते तो देखा पर ऐसा प्रथम बार घटित हुआ जब अपनी ही प्रजा के आत्मबल से राजा का सैन्यबल मुकाबला करने जा रहा था । प्रजा के आत्मबल को जांभोजी के धर्म-चक्र-प्रवर्तन जैसी भुमिका को निभाने के लिए सामुहिक रूप से समुद्यत होना पड़ा । ऐसी विकट परिस्थिती में भी प्रजा के आत्मबल का तेज दोपहर के सुरज के समान प्रखर दिखलाई पड़ रहा था । इसी प्रखर ओजस्व ने आत्माहुति देकर भी अन्ततः आत्मबल को विजयी बनाया । आत्मबल ने ऐसा सामुहिक अहिंसात्मक पराक्रम दिखया जो अभुतपुर्व और ऐतिहासिक हो गया ।
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