“बिश्नोई पहचान” | बिश्नोई | बिश्नोई समाज | गुरु जाम्भोजी | BISHNOISM | Eco Dharma

श्री जंभराय के राज की, बड़ी अपूरब बात।
नर-नारी फूलै फलै, हमेशा गुरु का साथ॥

वैस बदलकर रात में, पुर घुमेँ भू-पाल।
दुखिया जन का कष्ट हर, सुध लेते तत्काल॥

सभी वयस्क संस्कारवान, पाप करे न कोय।
बरसे नित जंभकृपा, अन्नधन, लक्ष्मी की 
कमी न होय।
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‘वन’जीवों के रक्षक बने, उन्हें मारे न कोय।
चारों  तरफ हरियाली दिखे, बरसात समय पर होय॥

जांभोजी के धाम में, सज्जन करे निवास।

गोपालन, कृषि, व्यवसाय-वृत्ति, ईश अटल विश्वास॥

व्यसनों में नहीं वासता, जो सद्गुण की खान।

भारत भू  पर भद्र-जन “बिश्नोई” पहचान॥


- जय खीचड़

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